नई दिल्ली, 19 नवंबर, 2020 आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं विधायक आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार प्रदूषण के मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं है। केंद्र सरकार ने प्रदूषण पैदा करने वालों पर कार्रवाई के लिए एयर क्वालिटी कमीशन का गठन किया है, लेकिन अभी तक कमीशन के चेयरपर्सन को न तो कार्यालय दिया गया है और कोई स्टाफ दिया गया है। कमीशन के चेयरपर्सन कार्यालय और स्टाफ नहीं होने की वजह से कभी-कभी आते हैं और कांफ्रेंस रूम में बैठते हैं। विधायक आतिशी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि कमीशन के चेयरपर्सन को शीघ्र कार्यालय और स्टाफ दिया जाए, ताकि वह अपना काम कर सके, अन्यथा इस कमीशन के गठन का कोई औचित्य नहीं है।
आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है, जिसका नाम है कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन नेशनल कैपिटल एंड एडज्वाइनिंग एरियाज। उन्होंने बताया कि 5 नवंबर को गजट नोटिफिकेशन के तहत इस कमेटी का गठन किया गया। 28 अक्टूबर को अध्यादेश के माध्यम से इस कमेटी को बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि क्योंकि दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है। खासकर अक्टूबर, नवंबर के महीने में लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसी कारण से इस कमेटी का गठन किया गया और इस कमेटी को कुछ शक्तियां भी दी गई। उन्होंने बताया कि अपनी शक्तियों के आधार पर यह कमेटी राज्य सरकारों के प्रदूषण नियंत्रण संस्थान को और केंद्र सरकार के प्रदूषण नियंत्रण संस्थान को निर्देश जारी कर सकती है। आतिशी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्र सरकार ने इस बात का हवाला दिया कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए हमने इस कमेटी का गठन किया है। उन्हें बताया कि केंद्र सरकार की दलील को देखते हुए हमने इस कमेटी के समक्ष एक प्रस्ताव रखा कि पराली जलाने को लेकर पंजाब और हरियाणा की सरकारों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की वजह से प्रदूषण का स्तर इतना गंभीर हो गया था कि लोगों को सांस लेने तक में तकलीफ हो रही थी। परंतु पिछले चार-पांच दिनों से जब से पराली जलना बंद हुई है, वायु प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। हमने इस कमेटी के समक्ष प्रस्ताव में इस बात को रखा है कि पंजाब और हरियाणा की सरकारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए कि आखिर क्यों वह अपने राज्यों में पराली को जलाने से नहीं रोक पाए? क्यों नहीं वह दिल्ली पूसा इंस्टीट्यूट द्वारा बनाए गए पराली को खाद में बदलने वाले पदार्थ का इस्तेमाल किसानों द्वारा करवाने में असफल रहे? जबकि यह पदार्थ मात्र 30 रुपए प्रति एकड़ के खर्च पर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद थी, क्योंकि इस कमेटी के पास पर्याप्त शक्तियां हैं, यह कमेटी तुरंत प्रभाव से पंजाब और हरियाणा की सरकारों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी। उन्होंने कहा कि यह बेहद ही अफसोस और चैंकाने वाली बात है कि जब इस संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने के लिए मैंने इस कमेटी को पत्र लिखा और मेरे कार्यालय से यह पत्र कमेटी को सुपुर्द करने के लिए भेजा गया, तो वहां जाकर कमेटी की वास्तविकता का पता चला। कमेटी के पास शक्तियां होने की बात तो बड़ी दूर है, हालात यह है कि इस कमेटी के पास पर्यावरण मंत्रालय में बैठने के लिए एक कमरा तक नहीं है। कमेटी के चेयरपर्सन साहब के बैठने तक के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने बताया कि जब हम वहां पर चिट्ठी देने पहुंचे, तो पता चला कि कमेटी के चेयर पर्सन साहब कभी-कभी आते हैं, तो कॉन्फ्रेंस रूम में बैठ जाते हैं। आतिशी ने कहा कि यह बेहद ही आश्चर्य की बात है, कि केंद्र सरकार ने जिस कमेटी का गठन देश की इतनी बड़ी समस्या वायु प्रदूषण का निवारण करने के लिए किया है, केंद्र सरकार उस कमेटी के चेयरपर्सन को बैठने के लिए एक कमरा तक मुहैया नहीं करा सकी। यही नहीं जब चिट्ठी देने के लिए हम वहां पहुंचे तो पता चला कमेटी ने अभी तक किसी स्टाफ की नियुक्ति ही नहीं की है, जो चिट्ठी को प्राप्त कर सके और प्राप्ति के हस्ताक्षर कर सके। उन्होंने बताया कि जब हमने चेयरपर्सन साहब से मिलने के लिए समय की मांग की, तो पता चला कि वहां कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो चेयर पर्सन साहब से मिलने का समय बता सके या उनसे मिलने का समय दे सके।
इस बयान के माध्यम से केंद्र सरकार से निवेदन करते हुए आतिशी ने कहा कि मैं केंद्र सरकार से यह निवेदन करना चाहती हूं कि इस कमेटी का गठन आप ही के द्वारा किया गया है, कृपया करके आप इस कमेटी को और कमेटी के चेयर पर्सन को एक कार्यालय मुहैया कराएं, कमेटी में कार्यान्वयन के लिए स्टाफ की नियुक्ति की जाए और जो सामान्य जरूरतें क्रियान्वयन के लिए होती हैं, वह तमाम सुविधाएं इस कमेटी को मुहैया कराई जाएं, अन्यथा इस संस्था के गठन करने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।