
The Minister of State for AYUSH (Independent Charge), Shri Shripad Yesso Naik addressing the gathering at the inauguration of the newly constructed building of Captain Srinivasa Murthy Regional Ayurveda Drug Development Institute of Central Council for Research in Ayurvedic Sciences (CCRAS), in Arignar Anna Hospital campus, Chennai on May 02, 2018.
औषधीय पौधों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और इक्वाटोरियल गिनी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से स्वीकृति दे दी है। समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के बीच औषधीय पौधों के क्षेत्र में और बढ़ावा मिलेगा। सहयोग के तहत अनुसंधान कार्यों, प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों, सम्मेलनों और बैठकों के आयोजन के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन आयुष मंत्रालय के तहत गठित राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के लिए आवंटित बजट तथा योजनाओं से प्राप्त किए जाएंगे।
औषधीय पौधों और जैव विविधता के मामले में भारत दुनिया के समृद्ध देशों में से एक है। देश में 15 कृषि मौसम वाले क्षेत्र हैं। फूल वाले पौधों की 17 से 18 हजार प्रजातियां हैं। 7 हजार से ज्यादा औषधीय पौधे हैं, जिन्हें आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसे पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में सूचीबद्ध किया गया है।
देश की करीब 1,178 औषधीय पौधों की प्रजातियां का व्यवसाय होता है। इनमें से 242 प्रजातियों की सालाना घरेलू खपत 100 मेट्रिक टन से भी ज्यादा है। औषधीय पौधे पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और औषधीय उद्योग का एक प्रमुख आधार स्रोत होने के साथ ही भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से को आजीविका और स्वास्थ्य सुरक्षा भी उपलब्ध कराते है।
विश्व स्तर पर पारंपरिक और वैकल्पिक स्वास्थ्य सेवाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है जिससे औषधीय पौधों का कारोबार 120 अरब अमरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। इसके 2050 तक सात खरब अमरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना है। बड़ी संख्या में कई ऐसे पौधे हैं जो उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में पाए जाते है। ऐसे पौधे भारत और गिनी दोनों जगह में लगभग एक समान भौगोलिक और जलवायु स्थितियां होने की वजह से बड़ी तादात में हैं।