
त्रिवेणी संगम प्रयागराज से शुरू हुई विश्व की पहली नीलकंठ गंगा परिक्रमा पदयात्रा। यह पदयात्रा लगभग 6500 किमी की दूरी पूरा कर के गंगा तीर्थ देवप्रयाग 29 तारीख को पहुंचेगी। इस पदयात्रा को जल्दी ही गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया जायेगा।
यह पदयात्रा आज जिला उन्नाव पहुंची। जहां पर एक प्रेस वार्ता की गयी। प्रेस वार्ता में इस यात्रा के बारे में जानकारियां दी गयी। राष्ट्रीय नदी गंगा को निर्मल और अविरल बहने के संदेश के साथ 16 दिसंबर 2020 को प्रयागराज से नीलकंठ गंगा परिक्रमा पद यात्रा की शुरुआत हुई। गंगा को जीवित प्राणी मान के गंगा को किसी भी परिस्थिति में नही लांघने के संकल्प के साथ पदयात्रा को शुरू किया गया। इस पदयात्रा में दो साहसी पद यात्री, अल्मोड़ा के 65 वर्षीय सेनि. कर्नल आरपी पांडे और अहमदाबाद गुजरात के 64 वर्षीय किसान हिरेन भाई पटेल शामिल हैं।
युवाओं को गंगा का सदा साथ रहे का संदेश देती इस जोड़ी ने एक दिन में 40 से अधिक किमी यात्रा तय करती हुई चली है। दोनों के अनुसार प्रयागराज से शुरू अनोखी पदयात्रा पहले गंगा सागर तक गयी। जहां यज्ञ कर के गोमुख के लिए आगे बढ़ी। यहां से बंगाल, झारखंड, बिहार, उप्र होते हुए पदयात्रा गंगा के मायके उत्तराखंड तक पहुंची। उम्र को दर किनार करते हुए दोनों ने भागीरथी को पार नही करने के संकल्प के चलते गंगनानी से हर्षिल तक की करीब 22 किमी की दुर्गम घाटी क्षेत्र को पार किया। जिसके बाद 16 मई को गंगोत्री पहुंचे। कोरोना के चलते यहां यात्रा स्थगित करनी पड़ी जो 18 सितम्बर को फिर से शुरू हुई।
अनोखी बात हैं कि प्राचीन काल से अभी तक गंगा को पार किये बिना उसकी परिक्रमा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। ऐसे में नीलकंठ गंगा परिक्रमा पदयात्रा के जरिये उस नये मार्ग की ऐतिहासिक खोज हुई है।