अभिषेक उपाध्याय। चीन लद्दाख में बुरी तरह मात खा चुका है। अब उसकी निगाहें चिकन नेक पर हैं। भारत के इस कारिडोर पर चोट पहुंचाकर वह अपने फायदे में समझौता करना चाहता है। उसने इस मकसद से सीमावर्ती इलाकों में अच्छा खासा निवेश भी कर रखा है। अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत के क्वाड गठबंधन से बौखलाया चीन अब भारत को किसी भी तरह से चोट पहुंचाने पर आमादा है। चीन की डोकलाम में हरकतों की सैटेलाइट तस्वीरें गवाही दे रही हैं। सैटलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने डोकलाम पठार के पूर्वी इलाके में भूटान की सीमा के दो किलोमीटर अंदर एक चीनी गांव बसाने के अलावा चीन ने इसी इलाके में 9 किमी तक फैली सड़क बना ली है। चीन इस सड़क के जरिए भारत पर भारी पड़ने की कवायद में है। वह लद्दाख इलाके में खाई चोट का बदला इस इलाके में मोर्चाबंदी कर लेना चाहता है। वह इस सड़क के जरिए जोंपलरी पहाड़ी तक पहुंचने और इसके जरिए भारत के एकदम करीब तक आधारभूत ढांचे को विकसित करने की कवायद में है।
हालांकि एक सच यह भी है कि भारत ने भी पहले से ही इस इलाके में तैयारियां शुरू कर दी हैं। चीन से तनाव होने के बाद केंद्र सरकार ने भारत के चिकन नेक कहे जाने वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर काम पहले से ही तेज कर दिया है। जलपाईगुड़ी के पास तीस्ता नदी पर निर्माणधीन पुल को तेजी से पूरा किया जा रहा है। तीस्ता नदी पर नए पुल के बनाने की योजना बनाई जा रही है। इसके साथ ही बंगराकोट से गंगटोक (सिक्किम) तक राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण ने रफ्तार पकड़ी ली है।
चीन की हालिया कोशिशों की बाबत ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अनैलिस्ट Detresfa ने हैरान करने वाली तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरो से चीन की साजिश की पर्तें खुलकर सामने आ गई हैं। इन बेहद ही उच्च क्षमता वाली सैटलाइट तस्वीरों ने साफ कर दिया है कि चीन ने इस इलाके में भारी संख्या में हथियारों की तैनाती कर ली है। इनमें भारत के किसी भी हवाई हमले को रोकने के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हेलीपोर्ट और हथियारों को रखने के लिए बंकर भी तैयार कर लिए गए हैं। चीन एक तरह से युद्ध की तैयारी में है। ये भारत को एक साथ दो बड़े मोर्चों पर इंगेज करने की खतरनाक रणनीति का हिस्सा भी नजर आता है।
चीन पैंगोंग की तर्ज पर चिकन नेक में भी दखलंदाजी की तैयारी कर रहा है। चीन की योजना के मुताबिक पैंगोंग झील और चिकन नेक क्षेत्र पर एकाधिकार से उसे भारत पर बड़ी सामरिक बढ़त हासिल हो सकती है। पैंगोंग झील से लेह तक की दूरी महज 54 किलोमीटर है। चीन ने झील के अपने हिस्से में पहले ही सड़कों का जाल बिछा रखा है। वह इसी तरह की साजिश डोकलाम में भी कर रहा है।
दरअसल चीन अब तक पुराने जख्म को भूल नही सका है। भारत की सेना ने साल 2017 में चीन को इसी पहाड़ी तक जाने से रोक दिया था। उस समय चीन ने इसको लेकर ताकत दिखाने की कोशिश की थी मगर भारत के कड़े प्रतिरोध के आगे वह मजबूर हो गया। खास बात यह है कि अगर चीन की पहुंच इस सीमा तक हो जाती है तो उसकी सीधी नजर भारत के ‘चिकन नेक’ पर हो जाएगी। चिकेन नेक वह गलियारा है जो उत्तरपूर्व को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है। इस गलियारे पर आक्रमण का मतलब देश के बाकी हिस्से का अलग हो जाना है। चीन की साजिश किसी भी हद तक जा सकती है।
इस बारे में खुद चीन के अपने सोर्स सारी जानकारी जाहिर कर रहे हैं। चीन के सरकारी टेलीवीजन चैनल की रिपोर्ट ने सारी साजिश बेपर्दा कर दी है। डोकलाम के पूर्वी इलाके में चीनी गांव में बसाने के सबूत चीन के सरकारी टीवी चैनल सीजीटीएन ने खुद जाहिर कर दिए हैं। इस चैनल ने एक गांव की कुछ तस्वीरें शेयर कीं। इसके कर्मचारी की ओर से ट्वीट करके कहा गया कि हाल ही में बनाए गए पांग्डा गांव में अब हमारे नागरिक रह रहे हैं। यह यादोंग कंट्री के 35 किमी दक्षिण में है। इस जानकारी के सामने आने के बाद जमकर विवाद हुआ। मजबूरी में इस ट्वीट को डिलीट करवा दिया गया। मगर इससे एक बहुत बड़ा सच सामने आ गया, जिसे अब तक छिपाकर रखा गया था।
साल 2017 में चीन इसी बात की तैयारियां कर रहा था। दरअसल जोंपलरी पहाड़ी का रास्ता भारतीय सेना के डोका ला पोस्ट के पास से होकर जाता है जो सिक्किम और डोकला की सीमा के बीच में स्थित है। यह भारतीय सेना को सतर्क रहने का एक बड़ा संदेश है। भारतीय सेना ने चीन के निर्माण दस्ते को मौके पर जाकर काम करने से रोक दिया था। चीन अब तक इसे भूला नही है। लद्दाख में चोट खाने के बाद एक बार फिर से उसने अपना ध्यान इसी इलाके पर फोकस किया है।
चीन ने टोर्सा नदी से सटकर एक रास्ता तैयार किया है और इसे अब भूटान की सीमा में बनाया गया है। चीन यहां जमकर आधारभूत ढांचे को पुख्ता करने में लगा हुआ है। चीन की सेना लगातार यहां सक्रिय है। उसकी निर्माण इकाई जी जान से जुटी हुई है। चीनी सेना ने इस इलाके में स्थायी ठिकाने और सड़कें, यहां तक कि पठार पर एक गांव भी निर्माण कर दिया है। ये एकदम नया घटनाक्रम है क्योंकि इस पूरे इलाके में तीन साल पहले कोई नहीं रहता था।
हालांकि भूटान इसका खंडन कर रहा है। मगर भूटान की स्थिति चीन के खिलाफ इस लड़ाई में कहीं भी नही ठहरती है। नई दिल्ली में स्थिति भूटान के राजदूत ने इन खबरों का खंडन किया है। मगर सैटेलाइट तस्वीरें झूठ नही बोलती हैं। इन तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि इस पूरे साल में टोर्सा नदी घाटी इलाके में जमकर निर्माण कार्य हुआ है। सड़कों के साथ-साथ चीन ने नया सैन्य स्टोरेज बंकर बनाया है। भूटान इसे खारिज कर रहा है। भूटान के राजदूत मेजर जनरल वेटसोप नामग्येल ने कहा कि भूटान की सीमा में कोई भी चीनी गांव नहीं है। भूटान और चीन के बीच पहले से ही सीमा पर विवाद है। भूटान के एक बड़े हिस्से पर चीन अपना दावा करता है।
भूटान की अपनी सुरक्षा भी भारत के साथ रहने में है। भारत हमेशा से भूटान की शुभचिंतक रहा है। हर विषम स्थितियों में भूटान की मदद करता आया है। ऐसे में चीन की गतिविधियां इस बात का इशारा करती हैं कि वह भारत के हितों पर हर तरह से चोट करने में जुटा हुआ है। यह चोट सैन्य भी है और कूटनीतिक भी। यही वजह है कि भारत को चीन से लगातार सतर्क रहने की जरूरत है।