अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने पर विचार किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के हालात दिन पे दिन और जटिल होते जा रहे हैं। वहां पर सीजफायर करने के बावजूद आतंकी हमलों में कमी नही आ रही है बल्कि वरिष्ठ पत्रकार और राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की हत्या के बाद से राज्य के हालात काफी खराब होते जा रहे हैं। इन सभी हालात को लेकर केंद्र सरकार काफी गंभीर से ले रही है। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल पार्टी के सभी मंत्रियों और कुछ टॉप लीडरों को महत्वपूर्ण बैठक के लिए आज नई दिल्ली बुलाया है। कश्मीर के इन नेताओं से अमित शाह दोपहर 12 बजे पार्टी कार्यालय पर बैठक करेंगे।
ईद के बाद सीजफायर की अवधि आगे ना बढ़ाते हुए गृह मंत्रालय ने सेना को ऑपरेशन ऑल आउट फिर से शुरू करने की इजाजत भी दे दी है। लेकिन आतंकी हमले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में शांति की पहल के लिए आगे बढ़ने वालों को टारगेट किया जा रहा है। पत्रकार शुजात भी शांति और अमन की बात करते थे, जिन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। लेकिन अब सेना ने भी आतंकियों को टारगेट करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में ये कार्रवाई और तेज होगी। अमित शाह राज्य में गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्री द्वारा आक्रामक कार्रवाई शुरू करने से पहले जम्मू कश्मीर मंत्रिमंडल में शामिल पार्टी के सभी मंत्रियों की राय लेना चाहते हैं।
दरअसल, केंद्र सरकार अभी तक मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सलाह पर ही कदम उठाती रही है, चाहे वह रमजान के दौरान सीजफायर का मसला क्यो न हो लेकिन मोदी सरकार अब कमान अपने हाथ में लेने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय अमरनाथ यात्रा को लेकर चिंतित है, जिसपर आतंकी हमले का साया मंडरा रहा है। अमित शाह पार्टी के मंत्रियों से यह जानना चाहेंगे कि अगर हालात में सुधार होने की गुंजाइश बनती हो तो क्या जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया जाए। साथ ही ये भी पूछा जा सकता है कि राज्यपाल शासन लागू करने की वजह से सत्ताधारी पार्टी पीडीपी से बीजेपी के रिश्ते तो प्रभावित नहीं होंगे?
जम्मू कश्मीर के बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने राज्य के पार्टी के सभी मंत्रियों के दिल्ली बुलाए जाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, ‘बैठक के लिए पार्टी के सभी मंत्रियों को नई दिल्ली बुलाया गया है।’ जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात को देखते हुए भाजपा के कैबिनेट मंत्री को फौरन बुलाया जाना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन इस बैठक के बाद ही किसी फैसले पर पहुंचा जा सकता है।
ज़ेबा ख़ान