सन्तोषसिंह नेगी/चमोली..भारत के अन्तिम गांव माणा में धार्मिक ऐतिहासिक घन्याल मेले में पेड़ लगाओं , धरती संवारों के नारों से 1200 पौधों का रोपण कर इतिहास रचा गया।भगवान बद्रीनाथ के क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला गाँव माणा आज पेड़ लगाओ और धरती माता को संवारो के नारे से दिनभर गुंजायमान रहा।
ज्ञात है कि बद्रीनाथ धार्मिक स्थल के पास पड़ने वाले भारत के अंतिम गांव माणा में जनपद चमोली के पेड़ वाले गुरू के नाम से विख्यात धनसिंह घरिया की पहल पर आज 1200 पौधों का रोपण किया।उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के जनपद चमोली के शिक्षक धनसिंह घरिया का कहना है कि पौध रोपण का उद्देश्य पर्यावरण का संरक्षण के साथ साथ काश्तकारों को संवर्धन करना भी है उन्होंने पौध रोपण करते समय चिपको आंदोलन की जननी गौरादेवी को याद किया और कहा कि उन्होंने हरे भरे जगलों के लिए संघर्ष किया, हम फिर से उस ओर बढ़ने का उत्तराखण्ड की जनता से आह्वान करते है।
आपको बता दें कि माणा ग्राम भारत की उत्तराखण्ड सीमा का अंतिम ग्राम है ।पौध रोपण के समय ग्रामसभा के प्रधान महिला मंगलदल अध्यक्ष मीना घन्याल और मेले के अध्यक्ष नारायण चौहान ने भी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह धरती पूजनीय भगवान बद्रीनाथ के समीप है इसको संवारना हम सभी का कर्तव्य है।इस घन्याल मेले के मौके पर पंकज ,एस. एस. परमार , गुंदनसिंह , जीतसिंह आदि मौजूद थे।