प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोरोना का टीका लगाने के बाद से ही भारत में कोरोना वायरस वैक्सीनेशन अब रफ्तार पकड़ रहा है। संडे ब्लूमबर्ग और जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का वैक्सीनेशन 4 गुना तेज हो गया है। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने जिस दिन से वैक्सीन लगवाई है, उससे लोगों के मन में वैक्सीनेशन को लेकर जो शक था वो धीरे-धीरे दूर हो रहा है।
डेटा के मुताबिक भारत में अभी तक करीब 2.1 करोड़ कोरोना वायरस के टीके लगाए जा चुके हैं। वहीं एक महीने पहले सिर्फ करीब 54 लाख कोरोना टीके दिए गए थे। प्रति 100 लोगों पर कोरोना वायरस टीके लगने का प्रतिशत भी 0.41 से बढ़कर 1.56 हो गया है। बीते शनिवार को ही सिर्फ एक दिन में रिकॉर्ड 16 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन दी गई है।
वैक्सीन पर लोगों की बदली धारणा
एस्ट्राजेनेका के शॉट के साथ ही भारत ने भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दे दी थी। इसकी वजह से कोरोना वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के मन में कोवैक्सीन को लेकर एक तरह की हिचक थी। पहले चरण की ह्यूमन टेस्टिंग के बाद जनवरी में ही इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई थी।
लेकिन भारत बायोटेक ने मार्च महीने की शुरुआत में कोवैक्सीन के तीसरे फेज ट्रायल के नतीजे जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक वैक्सीन के दो डोज लेने के बाद एफिकेसी रेट 81% है। मतलब जिन 100 लोगों को वैक्सीन दी जा रही है उनमें से करीब 81 लोगों के कोरोना संक्रमित होने की उम्मीद ना के बराबर है।
वैक्सीनेशन प्रक्रिया में लानी होगी तेजी
कोरोना वायरस केसों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर प्रभावित देश है। अगर भारत को अगली किसी कोरोना वायरस संकट की लहर से बचना है तो वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। इसका मतलब ये है कि और कम उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जानी चाहिए। साथ ही जरूरी है कि कोरोना वैक्सीन को बाजार के लिए खोला जाए ताकि वैक्सीन को आसानी से खरीदा जा सके।
वैक्सीनेशन की प्रक्रिया जितनी तेज होगी, उतनी ही जल्दी इकनॉमी से लेकर जीवन की बाकी चीजें पटरी पर आएंगीं।