महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ विवेक प्रताप सिंह बताते हैं कि अजोला तेजी से बढ़ने वाली एक प्रकार का जलीय फर्न है जो पानी की सतह पर तैरती रहती है। इसमे उच्च मात्रा में प्रोटीन के साथ साथ लगभग सभी प्रकार के खनिज लवण पाये जाते हैं। इसको हरी खाद के रूप में भूमि की उर्भरता बढ़ाने हेतु उपयोग में लाया जा सकता है।
पशुओ के लिए है बेहद पौष्टिक
अजोला सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक पूरक आहार है। इसको खिलाने से पशु 15 से 20 फीसदी दुध अधिक देते है। दूध की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर होती हैं। पशुओ के बाँझपन निवारण में उपयोगी है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस सहित अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है, साथ ही पशुओ का शारीरिक विकास भी अच्छा होता है।
कितना खिलाये
प्रति पशु 1-2 किलो अजोला नियमित रूप से दिया जा सकता है और उतनी दाने की मात्रा कम कर दें।
ऐसे उगाये अजोला
सर्वप्रथम एक क्यारी 8 फिट लम्बा एवं 3 फिट चौड़ा तैयार करें। क्यारी में पॉलीथिन शीट बिछाकर लगभग 6 से 8 इंच पानी भर दें। उपजाऊ मिट्टी और गोबर की खाद को क्यारी में डालकर मिला दें। इसके बाद क्यारी में अजोला डाल दें। अजोला से क्यारी 10 से 15 दिन में भर जाएगा और अजोला प्राप्त होना शुरू हो जाएगा।
रखरखाव है जरूरी
क्यारी में जलस्तर बनाये रखें। लगातार उपज प्राप्त करने के लिए प्रति माह 50 ग्राम सुपरफॉस्फेट और 3 से 4 किलो गोबर का घोल बनाकर क्यारी में डालते रहे। 4 माह बाद अजोला को निकालकर क्यारी साफ कर पुनः अजोला डालें।
अजोला को सभी प्रकार के पशुओं के साथ-साथ मछलियों के पोषण के रूप में किया जा सकता है। अजोला पशुओं के लिए हरे चारे का उत्तम विकल्प है। इससे दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन में वृद्धि होती है, साथ ही पशुओं की प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है। यह गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, मछली एवं बत्तख को आहार के रूप में दिया जा सकता है- डॉ सिंह