*- जहां दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण हर साल बढ़ रहा है, वहीं दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे 3 लाख से घटकर 2.30 लाख हो गए हैं- सौरभ भारद्वाज*
*- दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में अब निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट चलेंगे, एमसीडी के सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग को भाजपा बेच रही है- सौरभ भारद्वाज*
*- भाजपा अब सरकारी स्कूलों की महत्वपूर्ण जगह को बेचकर दिल्ली नगर निगम से भागने की तैयारी कर रही है- सौरभ भारद्वाज*
*- पहले चरण में नरेला, सिटी सदर पहाड़गंज जोन, सिविल लाइन जोन और करोल बाग जोन के स्कूलों को बेचा जा रहा है- सौरभ भारद्वाज*
*- केजरीवाल सरकार 25 फीसदी बजट शिक्षा में लगाती है, जबकि दिल्ली नगर निगम सिर्फ डेढ़ फीसदी बजट शिक्षा पर खर्च करती है- सौरभ भारद्वाज*
*- दिल्ली नगर निगम के कई स्कूलों में 30-40 बच्चे ही बचे हैं, उनके पास इतने छात्र भी नहीं बचे हैं कि उन स्कूलों को चला सकें- सौरभ भारद्वाज*
*- भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता बताएं कि इसका क्या कारण है कि भाजपा शासित एमसीडी के स्कूलों में शिक्षा की इतनी बदहाल स्थिति है?- सौरभ भारद्वाज*
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में अब निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट चलेंगे। एमसीडी के सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग को भाजपा बेच रही है। भाजपा शासित एमसीडी ने 36 में से 14 स्कूलों को निजी कोचिंग सेंटरों को बेचने के लिए टेंडर निकाल दिया है। भाजपा अब सरकारी स्कूलों की महत्वपूर्ण जगह को बेचकर दिल्ली नगर निगम से भागने की तैयारी कर रही है। पहले चरण में नरेला, सिटी सदर पहाड़गंज जोन, सिविल लाइन जोन और करोल बाग जोन के स्कूलों को बेचा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार 25 फीसदी बजट शिक्षा में लगाती है, जबकि दिल्ली नगर निगम सिर्फ डेढ़ फीसदी बजट शिक्षा पर खर्च करती है। जहां दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण हर साल बढ़ रहा है, वहीं दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे 3 लाख से घटकर 2.30 लाख हो गए हैं। दिल्ली नगर निगम के कई स्कूलों में 30-40 बच्चे ही बचे हैं। उनके पास इतने छात्र भी नहीं बचे हैं कि उन स्कूलों को चला सकें। भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता बताएं कि इसका क्या कारण है कि भाजपा शासित एमसीडी के स्कूलों में शिक्षा की इतनी बदहाल स्थिति है?
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में बुधवार को प्रेसवार्ता को संबोधित किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा के लोग दिल्ली नगर निगम में दिल्ली वालों की संपत्ति के ऊपर नजर गड़ाए बैठे हैं। भाजपा वालों को अब जब लग रहा है कि दिल्ली नगर निगम से उनका सूपड़ा साफ होने जा रहा है तो हर चीज को बेचकर भागने की स्कीम के ऊपर काम कर रहे हैं। एमसीडी की मुख्य स्थानों की जमीनों को एक तिहाई, चौथाई दामों पर अपने लोगों को बेच रहे हैं। इसके अलावा अस्पतालों, डिस्पेंसरी को निजी लोगों को क्लीनिक चलाने के लिए बेच रहे हैं। पार्कों के अंदर जहां लोग शांति के साथ सुबह का कुछ वक्त बिताते हैं, वहां पर दुकानें लगाने की तैयारी कर रहे हैं। इस तरह पार्कों को दुकानदारों को बेचने में लगे हुए हैं। सड़कों पर नए तरीके के कियोस्क और फूड वैन की योजना बनायी है।
उन्होंने कहा कि जमीन, अस्पताल, पार्क, सड़क बेचने के बाद अब नंबर स्कूलों का है। केजरीवाल सरकार पूरे देश में दिल्ली के शिक्षा मॉडल के बारे में बताती है। हर जगह चर्चा होती है कि शिक्षा का कायाकल्प हो रहा है। वहीं दिल्ली में नर्सरी से लेकर कक्षा 5 तक प्राथमिक शिक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम के पास है। दिल्ली नगर निगम के स्कूलों से पांचवी के बाद छठवीं में छात्र दिल्ली सरकार के स्कूलों के अंदर आता है। दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार के स्कूलों को आपस में लिंक हैं। किसी भी स्कूल का प्रिंसिपल और अध्यापक इस बात को बता देगा कि पांचवीं के बाद छठवीं में जो बच्चा आता है उसकी पढ़ाई का स्तर इतना बुरा होता है कि वह अपने पाठ्यक्रम की किताबें भी नहीं पढ़ सकता है।
दिल्ली नगर निगम के स्कूल से कक्षा पांचवीं पास कर आए हुए बच्चे को अगर हिंदी की किताब दे देंगे तो वह उसको पढ़ भी नहीं पाएगा। उसकी हालत इतनी ज्यादा खराब होती है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में उन बच्चों को बाकि बच्चों के बराबर लाने में 3 साल तक का वक्त लग जाता है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एमसीडी की लूट का कच्चा चिट्ठा अब सामने आया है। जहां एक तरफ दिल्ली सरकार के स्कूलों के अंदर बच्चों का पंजीकरण हर साल बढ़ रहा है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में 2019 में 15.05 लाख छात्र थे, 2020-21 में 16.28 लाख छात्र हो गए। इस साल दाखिले की प्रक्रिया अभी चल रही है, इसके बावजूद अभी तक 17.67 लाख बच्चे दाखिला ले चुके हैं।
इस साल दिल्ली सरकार के स्कूलों में दाखिला लेने के लिए 2,36,522 बच्चों के आवेदन आए। जिसमें से अभी तक 1,58,484 बच्चों को दाखिला दिया गया है। वहीं दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में शिक्षा की हालत इतनी खराब है कि पिछले कुछ सालों के अंदर दिल्ली नगर निगम की स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे तीन लाख से घटकर 2.30 लाख हो गए हैं। यानी कि छोटे बच्चों का दाखिला जहां बढ़ना चाहिए था वह 70 हजार कम हो गया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम के स्कूलों की इमारत, शौचालय, बच्चों को ड्रेस, किताब, मिड डे मील को देखें तो हर चीज में चोरी-भ्रष्टाचार नजर आता है। इसका नतीजा यह है कि दिल्ली नगर निगम के अंदर कई ऐसे स्कूल हैं जिनके अंदर 30 से 40 बच्चे ही बचे हैं। दिल्ली नगर निगम ने करीब 36 स्कूलों को मर्ज कर दिया है। उनके पास इतने बच्चे भी नहीं बचे हैं कि उनको चला सकें। इसकी वजह से स्कूलों को मर्ज करके स्कूलों की इमारत को खाली कराया जा रहा है। अब स्कूलों की इन बिल्डिंगों को बेचने की तैयारी हो गई है। दिल्ली नगर निगम ने इन 36 स्कूलों में से 14 स्कूलों के लिए टेंडर निकाल दिया है। अब इन सरकारी स्कूलों की बिल्डिंगों को प्राइवेट कोचिंग सेंटर के हवाले किया जा रहा है।
दिल्ली नगर निगम के स्कूलों के अंदर अब निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट चलेंगे। स्कूलों की इन महत्वपूर्ण जगह को कई सालों की लीज पर देकर भाजपा दिल्ली नगर निगम से भागने की तैयारी कर रहे हैं। यह दुख की बात है कि केंद्र के पास दिल्ली सरकार के स्कूलों को देने के लिए जमीन नहीं है। एमसीडी के पास मोहल्ला क्लीनिको के लिए जमीन नहीं है। अभी तक करीब 500 मोहल्ला क्लीनिक बने हैं, उनमें से एक मोहल्ला क्लीनिक के लिए भी एमसीडी ने जमीन नहीं दी है। अब यह जमीन प्राइवेट कोचिंग सेंटर को देकर भागने की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पहले चरण में नरेला, सिटी सदर पहाड़गंज जोन, सिविल लाइन जोन और करोल बाग जोन के अंदर 14 स्कूलों को प्राइवेट कोचिंग सेंटर के हवाले किया जा रहा है। यह निजी स्कूलों को सरकारी स्कूल की जमीन की लीज दस साल, बीस साल और पचास साल तक के लिए देंगे। जिसके कारण नई सरकार भी दिल्ली नगर निगम में आने पर भी इन प्राइवेट कोचिंग सेंटर से जमीन को वापस नहीं ले सकेगी। जिन डिस्पेंसरी को प्राइवेट क्लीनिक को दे रहे हैं वह हमेशा के लिए निजी हाथों में चली जाएंगी और वापस नहीं आ पाएंगी। जिन करोड़ों की जमीन को लुटा रहे हैं, वह जमीन भी कभी वापस नहीं आ पाएगी। भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता बताएं कि इसका क्या कारण है कि शिक्षा के अंदर इतनी बदहाली है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बाकायदा यह सोची समझी चाल है। यही कारण है कि दिल्ली नगर निगम का पूरा बजट 6872 करोड़ का है। इसका यह केवल 1.5 फीसदी बजट शिक्षा को दिया जाता है, यानि सिर्फ 116 करोड रुपए शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं। वहीं दिल्ली सरकार 25 फीसदी बजट शिक्षा में लगाती है। उसी दिल्ली के अंदर नगर निगम सिर्फ डेढ फीसदी पैसा सिर्फ शिक्षा के अंदर लगा रही है। इससे समझ सकते हैं कि भाजपा के लिए दिल्ली नगर निगम सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार की फैक्ट्री बनकर रह गया है, ताकि आने वाले 4–6 महीने में लूट कर भाग जाया जाए।