आकाश रंजन : यहाँ कमल भारतीय जनता पार्ट्री के लिए लिखा गया है और गुलाब आने वाली चक्रवाती तूफ़ान के लिए। बंगाल की खाड़ी से निकलने वाली चक्रवाती तूफ़ान का नाम गुलाब रखा गया है। मौजूदा देश के हालत में कमल और गुलाब अपने साथ अब तबाही का सैलाब लाते है।
रविवार को आंध्र प्रदेश के कलिंगपट्टनम और ओडिशा के गोपालपुर के बीच चक्रवाती तूफ़ान गुलाब ने शाम करीब 6 बजे से दस्तक दीं। जिससे काफी बारिश देखने को मिली। फिर सोमवार को लगभग 2:30 बजे चक्रवाती तूफान थोड़ा कमजोर होकर उत्तरी आंध्र प्रदेश और उससे सटे दक्षिण ओडिशा के ऊपर ठैहर अपना रुख बदल लिया। इसके प्रभाव के तहत ओडिशा के दक्षिणी जिलों गंजम, गजपति, कंधमाल, रायगडा, नबरंगपुर, कोरापुट और मलकानगिरी के साथ-साथ केंद्रीय तटीय जिलों केंद्रपाड़ा, कटक, जगतसिंहपुर, खुर्दा, पुरी और नयागढ़ में हल्की मध्यम बारिश शुरू हो चुकी है। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के संथागुडा में बारिश के बाद चक्रवात गुलाब के कमजोर होकर कोरापुट जिले में प्रवेश करने की संभावना है। भुवनेश्वर मौसम केंद्र के निदेशक एचआर बिस्वास ने कहा चक्रवात ने दस्तक दे दी है। यह आधी रात को ओडिशा के कोरापुट जिले में प्रवेश करेगा और अगले छह घंटों में कमजोर होने के आसार है।
विशेष राहत आयुक्त पी के जेना ने कहा कि चक्रवात के आने से पहले 600 गर्भवती महिलाओं, विकलांगों और बुजुर्गों सहित 39,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए कई एहतियाती कदम उठाए गए हैं। एसआरसी ने कहा हमारे अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं और तैयारियों की निगरानी के लिए स्थानों का दौरा कर रहे हैं। ओडिशा के एसआरसी ने अपने नवीनतम अलर्ट में कहा कि चक्रवात का अभी तक ओडिशा पर चक्रवात का ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
जेना ने कहा कि कुछ हिस्सों में बारिश को छोड़कर, गंजम, गजपति और रायगडा जिलों में हवा की गति चिंताजनक नहीं है जो चक्रवात के रास्ते में आने का अनुमान था। हालांकि पुरी में जनजीवन सामान्य रहा क्योंकि जिले में 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मध्यम बारिश जारी रही। पर्यटक खुलेआम समुद्र तट पर घूमते नजर आए।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उड़ीसा के मुख्यमंत्री पटनायक को फोन किया और उन्हें चक्रवात गुलाब से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए केंद्र से सभी समर्थन का आश्वासन दिया। भारतीय नौसेना ने भी चक्रवात की गति पर बारीकी से नजर रखी और बचाव और राहत कार्यों के लिए नौसेना के जहाजों और विमानों को स्टैंडबाय पर रखा है।
ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स (ओडीआरएएफ) की 42 टीमों और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के 24 दस्तों के साथ-साथ दमकल कर्मियों की लगभग 102 टीमों को सात जिलों में तैनात किया गया है। इसके अलावा, 11 अग्निशमन इकाइयाँ, ODRAF की छह टीमें और NDRF की आठ टीमें आपातकालीन उद्देश्यों के लिए तैयार हैं।
तौकते, अम्फान, फानी, तितली, बुलबुल, गाजा… और अब गुलाब। आख़िर ये नाम तय कैसे होते है ? कौन करता है इनका नामकरण ?
हिन्द महासागर से जितने भी तूफ़ान निकलते, गुजरते है उनको एक नाम दिया जाता है। वो नाम विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के द्वारा दिया जाता है। अब हिंद महासागर के बेसिन को साझा करने वाले कुल 13 देश है। ये 13 देश अपने अपने नामो की सूचि विश्व मौसम विज्ञान संगठन को दें देते है। जिससे विश्व मौसम विज्ञान संगठन एक एक कर के सभी देशों के नाम रखते जाते है। फिलहाल विश्व मौसम विज्ञान संगठन के पास 169 नामों की एक लंबी सूची है। इसी क्रम में इस बार की तूफ़ान को ग़ुलाब नाम दिया गया है। जोकि पाकिस्तान ने दिया है। इससे पहले तूफ़ान यास आया था जो ओमान देश द्वारा दिया गया था। इसी कड़ी में गुलाब के बाद अगली तूफ़ान का नाम कतर देश के द्वारा दिया गया शाहीन होगा।