आकाश रंजन: पत्रकार मारिया रसा और दिमित्री मुराटोव को 2021 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए फिलीपींस और रूस के पत्रकारों को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।
नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने शुक्रवार को कहा कि दोनों को फिलीपींस और रूस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए उनकी साहसी लड़ाई के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया जा रहा है। उन्होंने नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में एक प्रेस सम्मेलन में कहा, वे उन सभी पत्रकारों के प्रतिनिधि हैं, जो एक ऐसी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खड़े होते हैं। जिसमें लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए पत्रकारों को हाशिये पे खड़ा कर दिया गया है।
मालूम हो कि यह पुरस्कार पत्रकारों के लिए पहला पुरस्कार है। इससे पहले जर्मन कार्ल वॉन ओस्सिएट्ज़की ने 1935 में अपने देश के गुप्त युद्ध शस्त्रीकरण कार्यक्रम का खुलासा करने के लिए इसे जीता था।
रीस-एंडरसन ने कहा, स्वतंत्र और तथ्य-आधारित पत्रकारिता सत्ता के दुरुपयोग, झूठ और युद्ध प्रचार से बचाने का काम करती है। रेसा जिन्होंने खोजी पत्रकारिता वेबसाइट रैपर की स्थापना की, ने अपना अधिकांश काम फिलीपीन के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते के ड्रग्स पर विवादास्पद और हिंसक युद्ध पर केंद्रित किया है। पत्रकारिता कभी भी उतनी महत्वपूर्ण नहीं रही जितनी आज है, उन्होंने पुरस्कार के बारे में जानने के बाद कहा। उन्होंने यह भी कहा कि उसकी समाचार वेबसाइट दैनिक आधार पर बंद होने की संभावना है। बंद होने के बावजूद वह तथ्य-खोज पत्रकारिता के लिए प्रयास जारी रखेंगी।
मुराटोव ने 1993 में रूसी समाचार पत्र नोवाया गजेटा की स्थापना की और 24 वर्षों तक इसके प्रधान संपादक रहे। यह आज रूस में बहुत कम स्वतंत्र मीडिया आउटलेट्स में से एक है। इस दौरान इसके छह पत्रकारों की हत्या भी हो चुकी है। मुराटोव ने कहा, मैं इसका श्रेय नहीं ले सकता। यह नोवाया गजेटा का है। यह उन लोगों में से है जो लोगों के बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करते हुए मारे गए। घोषणा के तुरंत बाद, क्रेमलिन ने रूसी पत्रकार को इस तथ्य के बावजूद बधाई दी कि उनके अखबार ने अक्सर रूसी अधिकारियों की आलोचना की है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा, हम दिमित्री मुराटोव को बधाई देते हैं। उन्होंने कहा, वह लगातार अपने आदर्शों के अनुसार काम करते रहे है। वह अपने काम के प्रति समर्पित है, वह प्रतिभाशाली है, वह बहादुर है।
मालूम हो कि पिछले साल का नोबेल शांति पुरस्कार विश्व खाद्य कार्यक्रम को दुनिया भर में भूख और खाद्य असुरक्षा से निपटने के प्रयासों के लिए दिया गया था।