बीते 20 अक्टूबर को पीएम मोदी ने पूरे ताम झाम से कुशीनगर में कुशीनगर एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। जिसमे विदेशी अतिथियो को भी बुलाया गया था। लेकिन कुशीनगर एयरपोर्ट का उद्घाटन क्यों किया गया ये समझना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कुशीनगर एयरपोर्ट तो पीएम मोदी ने उद्घाटन करने से पहले ही बेच दिया हैं। बीते सितम्बर महीने में मीडिया रिपोर्ट्स से मालूम होता हैं कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने 6 बड़े हवाई अड्डे और 7 छोटे हवाई अड्डा जिसमे कुशीनगर भी शामिल है को कॉर्पोरेट घराने को बेचने को मंज़ूरी दे दी हैं।
पहले सरकार द्वारा तर्क दिया जाता था कि सरकारी संपत्ति को इसलिए बेचा जा रहा है क्योंकि ये सम्पत्तियाँ घाटे में चल रही है। मुनाफा नहीं कमा रही हैं। या इनकी मरम्मत की ज़रुरत हैं जिससे काम की रफ़्तार बढ़ेगी। लेकिन इस कुशीनगर एयरपोर्ट का क्या कसूर हुज़ूरेआलम ? यह एयरपोर्ट तो अभी नयी बन कर तैयार हैं। इसकी क्या मरम्मत ? ये कौनसे घाटे में चल रही थी ? मालूम हो कि सरकार ने बेचने की मंज़ूरी दी हैं। अभी किसी को बेचा नहीं हैं। बेचने की प्रक्रिया को 2022 के शुरआत में शुरू किया जायेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने कुशीनगर, इंदौर, जबलपुर, तिरुपति, अमृतसर, रायपुर, भुबनेश्वर, झारसुगुड़ा, गया, वाराणसी,,कांगड़ा, त्रिची और जलगांव को बेचने की मंजूरी दे दी हैं। टेंडर निकालने की प्रक्रिया जल्द शुरू होंगी।
पहले जनता के पैसो से जनता की ज़मीने ले ली सरकार ने। उसके बाद जनता के पैसो से जनता के लिए हवाईअड्डा बनाया। फिर उद्घाटन से पहले एयरपोर्ट को कॉर्पोरेट घरानो को बेच दिया। है न मास्टर स्ट्रोक ? एक अद्भुत विकास मॉडल हैं। एक सवाल तो और उठता हैं अगर कॉर्पोरेट को ही बेचना था तो फिर जनता के पैसो से बनाया कियों ? कॉर्पोरेट को खुद ही बनाने के लिए क्यों नहीं बोला गया बनाने को ? अच्छा बनाने में तो पैसे लगते हैं। अभी ज़्यदा दिन नहीं बीते है ,जब मुंबई एयरपोर्ट पर भगदड़ मच गयी। और सैकड़ो लोगो की फ्लाइट्स छूट गयी। जबकि इससे पहले आज तक कभी ऐसा नहीं देखा गया था हिंदुस्तान के किसी भी एयरपोर्ट पर। ये भगदड़ कि वजह सिर्फ और सिर्फ निजीकरण के कारण हुई थी। जब तक मुंबई एयरपोर्ट सरकारी थी सरकार का दायित्व था कि सबसे पहले यात्रियो की सेवा और मदद की जाएगी न की सबसे पहले एयरपोर्ट के मालिक के मुनाफे कि। मुंबई एयरपोर्ट के मालिक अडानी ने ज़्यदा मुनाफा कमाने के लिए कुछ रनवे को बंद कर दिया जिससे सभी फ्लाइट्स का जमावड़ा लग गया और भगदड़ मच गयी। इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि यात्रियो को कितना कुछ नुकसान हुआ होगा।
इन सब के बीच साफ़ पता चलता है कि ये सरकार किसका विकास और किसका विनाश कर रही हैं। लेकिन इस सरकार को ये नहीं पता की जब विनाश करने के लिए कोई बचेगा नहीं तो ये अपने मित्रों का विकास कैसे करेंगे ?