प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को गिरफ्तार कर लिया हैं। ईडी ने उनके कार्यालय में 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ करने के बाद उनकी गिरफ्तारी की हैं। देशमुख दोपहर करीब 12 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे और उन्हें रात 12 बजे से अधिक समय तक ईडी कार्यालय में रखा गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लगभग 1.30 बजे, 71 वर्षीय देशमुख को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था।
केंद्र पर निशाना साधते हुए, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री, नवाब मलिक ने कहा कि सत्ता का दुरुपयोग करके नेताओं को डराना बंद किया जाना चाहिए। पूरी कार्रवाई (देशमुख को गिरफ्तार करने की) राजनीति से प्रेरित है। इसका उद्देश्य महा विकास अघाड़ी (शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन) के नेताओं को डराना है।
इससे पहले दिन में, ईडी के अतिरिक्त निदेशक सहित अधिकारियों की एक टीम ने देशमुख का बयान दर्ज करने के लिए दिल्ली से उड़ान भरी थी। देशमुख इससे पहले एजेंसी के कम से कम पांच समन में शामिल नहीं हुए थे और इन समन को रद्द करने के लिए बंबई उच्च न्यायालय भी गए थे।
ईडी के सामने पेश होने से पहले देशमुख ने एक वीडियो संदेश में कहा कि, उन्होंने जांच में अपना सहयोग दिया है। “मुझे ईडी का समन मिला है। और मीडिया ने गलत तरीके से रिपोर्ट किया है, कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। प्रत्येक समन के बाद, मैंने ईडी को सूचित किया कि मेरी याचिका अदालतों में लंबित है। और मैं उनके परिणामों के बाद ईडी के समक्ष खुद को पेश करूंगा। मेरे स्टाफ और मेरे परिवार ने तलाशी के दौरान हमेशा ईडी का सहयोग किया है। मैंने सीबीआई के पास अपने बयान भी दर्ज किए हैं। आज मैं ईडी के सामने पेश हो रहा हूं।
29 अक्टूबर को, हाई कोर्ट ने देशमुख के खिलाफ ईडी के सम्मन को रद्द करने से इनकार कर दिया। और उन्हें एजेंसी के सामने पेश होने का निर्देश दिया।अदालत ने देशमुख के वकील को ईडी की पूछताछ के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति दी हैं।
ईडी ने आरोप लगाया है कि देशमुख ने गृह मंत्री के रूप में कार्य करते हुए, वेज़ के माध्यम से “विभिन्न ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से लगभग 4.7 करोड़ रुपये नकद में अवैध रूप से प्राप्त किया”।
ईडी के मुताबिक, इसमें से करीब 4.18 करोड़ रुपये तब दिल्ली की चार शेल कंपनियों- रिलायबल फाइनेंस कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास नकद में जमा किए गए थे। इन फर्मों ने बाद में अनिल देशमुख और उनके परिवार की अध्यक्षता वाले एक धर्मार्थ ट्रस्ट, श्री साईं शिक्षण संस्थान ट्रस्ट को पूरा पैसा दान कर दिया।
देशमुख के वित्तीय लेनदेन की ईडी जांच मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के एनसीपी नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के अनुरूप है। सीबीआई ने 5 अप्रैल के उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर प्रारंभिक जांच शुरू की और 21 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज की। देशमुख ने आरोपों से इनकार किया है।