वर्ष 2019 में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऋषि कुमार शुक्ला को राज्य के पुलिस प्रमुख के पद से हटा दिया था। आश्चर्य तब होता जब मोदी सरकार ने ऋषि कुमार शुक्ला को पुलिस प्रमुख से हटने के 3 दिन बाद ही सीबीआई का निदेशक बना दिया।
बीते रविवार को, केंद्र सरकार ने अपराध जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में बड़ा फेर बदल किया हैं। इस फेर बदल में अबसे इन दोनों एजेंसियों में निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए दो अध्यादेश लाए गए हैं। जिसके बाद विपक्ष ने आरोप लगया कि यह जांच एजेंसियों की स्वायत्तता को और नुकसान पहुंचाएगा।
आइये इन एजेंसियों के कुछ नियुक्तियों पर एक नज़र डालते हैं, जिन्होंने हाल ही में एक नए विवाद को जन्म दिया।
ईडी के विशेष निदेशक, विनीत अग्रवाल ने अप्रैल 2021 में व्यवसायी विजय माल्या और नीरव मोदी के खिलाफ जांच के प्रमुख अधिकारी सत्यब्रत कुमार का तबादला कर दिया। कुछ ही घंटों के भीतर, ईडी के निदेशक संजय मिश्रा ने सत्यब्रत कुमार के स्थानांतरण को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि,विनीत अग्रवाल उन्हें अपने दम पर स्थानांतरित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
वर्ष 2019 में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऋषि कुमार शुक्ला को राज्य के पुलिस प्रमुख के पद से हटा दिया था। आश्चर्य तब होता जब मोदी सरकार ने ऋषि कुमार शुक्ला को पुलिस प्रमुख से हटने के 3 दिन बाद ही सीबीआई का निदेशक बना दिया। चयन पैनल का हिस्सा रहे कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए ऋषि कुमार शुक्ला की नियुक्ति का विरोध किया। उन्होंने दावा किया कि ऋषि कुमार शुक्ला भ्रष्टाचार विरोधी मामलों को संभालने में अनुभवहीन थे। अंत में मल्लिकार्जुन खड़गे की आपत्ति को खारिज कर दिया गया।
2016 में सीबीआई के विशेष निदेशक के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति का गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कॉमन कॉज ने विरोध किया था। एनजीओ ने दावा किया कि अस्थाना ने कथित तौर पर गुजरात स्थित स्टर्लिंग बायोटेक और संदेसरा ग्रुप ऑफ कंपनीज से घूस लिया लिया हैं। जब वह 2011 में सूरत के पुलिस आयुक्त थे। लेकिन अदालत ने अस्थाना की नियुक्ति की चुनौती को खारिज कर दिया।
दिसंबर 2012 में सीबीआई प्रमुख के रूप में रंजीत सिन्हा की नियुक्ति ने भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ एक विवाद पैदा कर दिया। जिसमें राज्यसभा पैनल की सिफारिश का हवाला देते हुए उनकी पदोन्नति को रोक दिया गया था कि, एक कॉलेजियम को सीबीआई प्रमुख का चयन करना चाहिए। आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी “गुप्त तरीके” पर सवाल उठाया। जिसमें सरकार ने सिन्हा को चुना और उन्हें “दागी व्यक्ति” कहा। हालांकि, सरकार ने कहा कि चयन निष्पक्ष तरीके से किया गया था। और इस मामले पर निर्णय लेने का अधिकार प्रधानमंत्री के पास है।