दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय द्वारा प्रदूषण में सुधार होने का सहारा लेते हुए कंस्ट्रक्शन माफिया से मिलीभगत के चलते दिल्ली में निर्माण कार्य खोल दिए है। उन्हांने कहा कि कुछ दिन पहले गोपाल राय ने सर्वेक्षण करके चिन्हित भवनों में चल रहे निर्माण कार्या का चालान तक काटा था। उन्हांने कहा कि हवा की गुणवत्ता में सुधार और श्रमिकों को होने वाली असुविधा के प्रति यदि दिल्ली सरकार संवेदनशील है तो उन्हें बिल्डर माफिया के हाथों की कठपुतली बनने की बजाय मजदूरों को आर्थिक सहायता प्रदान करे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनो खतरनाक स्तर पर है।
अनिल कुमार ने कहा कि जब दिल्ली सरकार ने प्रदूषण संकट में सरकारी कार्यालयों में घर से काम और स्कूलों, कॉलेजो और शिक्षा संस्थानां में ऑनलाईन काम करने के आदेश दिए है तो फिर अत्यधिक प्रदूषण के लिए कारक निर्माण कार्य को ही क्यों इजाजत दी गई। उन्हांने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए वाहन से निकलने वाला धुंआ तथा निर्माण से उत्पन्न धूल कण जिम्मेदार है।
दिल्ली सरकार को बिल्डर और ठेकेदारों को को ध्यान में रखकर काम की इजाजत देने की बजाय प्रदूषण के मुख्य कारकों पर नियंत्रण पाने की जरुरत है। जबकि प्रदूषण नियंत्रण में दिल्ली सरकार पूरी तरह से विफल रही है और पिछल 7 वर्षों में दिल्ली सरकार की लापरवाही की वजह से जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से दिल्लीवासी पूरी तरह प्रभावित हो रहे है।
दिल्ली में जानलेवा प्रदूषण के कारण हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी कि तुरंत प्रभाव से प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कार्यवाही करे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली और अन्य राज्यों के नजदीकी क्षेत्रों प्रदूषण के लिए मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ और कंस्ट्रक्शन बताया है।
दिल्ली में केजरीवाल सरकार और भाजपा शासित निगमों की लापरवाही का ही नतीजा है आज राजधानी में दमघोटू प्रदूषण लोगों की सांसों का संकट बन गया है क्योंकि दिल्ली एक बार फिर गैस चैम्बर बन गई है। केजरीवाल प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रतिदिन नए-नए असफल कार्यक्रमों की घोषणा करके लोगों को भ्रमित कर रहें है, जबकि प्रदूषण खतरनाक स्तर से कहीं अधिक उॅचाईयों पर पहुॅच रहा है और दिल्ली में ए.क्यू.आई प्रदूषक पीएम 10 है। पिछले 7 वर्षो से केजरीवाल सरकार प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए स्मॉग टावर, रेड लाईट ऑन-गाड़ी ऑफ, ऑड-इवन कार्यक्रम तो चलाए परंतु कोई मजबूत उपाय नही अपनाए जबकि राजधानी प्रदूषण के स्वास्थ्य आपातकाल से गुजरती है।