कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ओमिक्रोन को लेकर उतना ही भ्रम है जितना शुरू में कोविड के केस आने के बाद था। इसको लेकर अभी बहुत कुछ साफ नहीं हो पाया है। हालांकि WHO ने इस वायरस को ‘हाई रिस्क’ की श्रेणी में रखा है। अब तक के आंकड़ों के मुकाबले इस वायरस का प्रसार बहुत तेजी से होता है। इसके अलावा वैक्सीन की इम्युनिटी भी इसके सामने डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कम प्रभावी है।
क्या RT-PCR के जरिए हो सकती है जांच?
इस वैरिएंट को फैलने से रोकने के लिए सभी देश अपने-अपने स्तर पर प्रयास में जुटे हुए हैं। WHO ने एक राहत की बात यह बताई है कि इस स्ट्रेन की भी जांच RT-PCR के जरिए संभव है। कई वैरिएंट ऐसे भी हैं जिनकी जांच केवल जेनेटिक सेक्वेंसिंग के जरिए ही हो पाती है। हालांकि ओमिक्रोन के मामले में ऐसा नहीं है।
कई जानकारों ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि भारत में होने वाले ज्यादातर आरटी-पीसीआर हो सकता है कि ओमिक्रोन को न पहचान पाएं। अब तक भारत में इस तरह का कोई केस सामने नहीं आया है और न ही टेस्टिंग हुई है। जानकारों के मुताबिक आरटी-पीसीआर में इस बात की पुष्टि होती है कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। इसमें वैरिएंट का पता लगाना मुश्किल होता है। वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेसिंग का ही सहारा लिया जाता है।
कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर राज्य सरकारें सावधान हो गई हैं। महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि कुछ खास देशों से आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से सात दिन क्वारंटीन रहना होगा। क्वारंटीन होटल के लिए यात्रियों को भुगतान भी करना होगा। दूसरे, चौथे औऱ सातवें दिन सभी का आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाएगा।
जिन एयरपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानें आती हैं, वहां पर स्क्रीनिंग और जांच पर ज्यादा जोर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने अपनी गाइडलाइन में जांच में गंभीरता दिखाने के बात कही है। एयरपोर्ट पर 1200 से 1400 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है ताकि लोग अपनी रिपोर्ट का इंतजार कर सकें। एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक एक घंटे में 600 सैंपल लिए जा सकते हैं।