पीलीभीत यूपी 20 मई। पीलीभीत टाइगर रिजर्व वन के बाद अव्यवस्थाओं के चलते वन्य जीव जंतुओं की जान खतरे में आ गई है। वनराजों के कई शव मिलने के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि वन विभाग के अधिकारी अपने कार्य के प्रति जरा भी जागरूक नहीं हैं। जंगलों व वन्य जीवों की रक्षा के लिए वे सक्रिय ही नहीं दिखते है। हाँ इतना जरूर है कि घटना के बाद तेजी से सक्रिय होकर वे किसी निर्दोष को फांस कर वाहवाही लूट लेते हैं। उनकी कार्रवाई पर हमेशा उंगली उठती रही है।
रविवार को तहसील कलीनगर मे खारजा नहर की पटरी पर बाघ का कंकाल ग्राम डगा के पास मिलने से वन विभाग परेशान हो उठा। अभी कुछ दिन पूर्व ही एक शव वाघ का वरामद हो चुका है। इससे एक बात साफ हो गई है कि पीलीभीत में वाघ नही सुरक्षित रह गए हैं। वन विभाग के अनुसार यह कंकाल 3 से 4 हफ्ते पुराना है। यहां अफसोस जनक बात ये है कि वन विभाग को बाघ के कंकाल की भनक ही नहीं लगी। एक ही साल में चौथे बाघ का शव मिलना इस बात को स्पष्ट करता है कि कई बर्षों से जमे बैठे यहां के जिम्मेदार अधिकारी कार्य के प्रति कितने जिम्मेदार हैं।
टाइगर रिज़र्व की बराही रेंज के पास ख़रीजा नहर के किनारे बाघ का कंकाल मिलना कर्मचारियों की भी लापरवाही का जिंदा प्रमाण हैं। टाइगर रिजर्व के डीएफओ कैलाश प्रकाश ने इस प्रकरण पर चुप्पी साध ली है। इस प्रश्न पर कि पहले भी मौतें हो चुकी है लेकिन शिलशिला थम नही रहा है।नहर मे नहाने आये कुछ लोगों ने जब देखा तो उनकी सूचना पर रेंजर अमित मौके पर पंहुंचे।
तहसील कलीनगर व थाना माधौटाडा क्षेत्र में जहां कंकाल मिला वहां वन संरक्षक पी पी सिंह भी बरेली से पंहुंचे। उन्होंने बताया कि वाघ के कंकाल को पोस्टमार्टम के लिए आइवी आरआई भेज दिया गया हैं। वन संरक्षक पीपी सिंह ने किसी गिरोह की कार्रवाई को सिरे से खारिज कर दिया। तर्क दिया कि वाघ के नाखून खाल और हड्डियां सभी कुछ मौके पर मौजूद है। इसलिए इस बात पर मोहर नहीं लगाई जा सकती। बाकी जांच का विषय है। विभाग की लापरवाही पर वे भी चुप थे।