वसुंधरा ग्रैंड आवासीय परियोजना के आवंटियों के हितों को सुरक्षित रखने के उदेश्य से यू.पी. रेरा ने आवंटियों के संगठन की आम सहमति से परियोजना के प्रोमोटर को शेष विकास व निर्माण कार्य समयबद्ध तरीके से मई 2023 तक पूरा करने के लिए अधिकृत किया है। यू.पी. रेरा द्वारा की गई तथ्यों की जांच में प्राधिकरण के समक्ष यह बात आई थी कि वर्ष 2015 में प्रोमोटर मेसर्स नन्दिनी बिल्डहोम कॉन्सोर्टियम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गाज़ियाबाद में शुरू की गई आवासीय परियोजना पंजीकरण की वैध अवधि यानी 16 दिसम्बर 2020 तक निर्माण पूरा नहीं कर सका है तथा परियोजना के भौतिक निरिक्षण के आधार पर वर्तमान में परियोजना का निर्माण केवल 82% ही पूर्ण हो पाया है। इस परियोजना के प्रोमोटर और आवंटियों के संगठन, दोनों ने यू.पी. रेरा से इस मामले में हस्तक्षेप करने और परियोजना के शेष विकास कार्यों को अपनी निगरानी में, समय से पूरा कराने के लिए अनुरोध किया था ताकि परियोजना के आवंटियों को शीघ्र ही उनकी इकाईयों का कब्जा मिल सके।
चूंकि रेरा अधिनियम के अनुसार प्रोमोटर परियोजना पंजीकरण विस्तार के अधिकतम समयसीमा का लाभ पहले ही उठा चुके थे किन्तु प्रोमोटर द्वारा वसुंधरा ग्रैंड परियोजना के जून 2023 तक स्वीकृत लेआउट उपलब्ध था, ऐसे में प्राधिकरण ने प्रोमोटर और आवंटियों के संघ के अनुरोध पर विचार किया और अधिनियम की धारा 8 के साथ धारा 6, 7 और 37 के प्राविधानों के तहत परियोजना को पूरा करने के लिए पूर्ण सहयोग देने का निर्णय लिया।
प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा स्थित एनसीआर क्षेत्रीय कार्यालय में एक परियोजना प्रबंधन प्रभाग की स्थापना की है जिसके द्वारा परियोजना के आवंटियों की पंजीकृत संघ के माध्यम से जारी 50% से अधिक आवंटियों की लिखित सहमति के साथ प्रोमोटर की तरफ से परियोजना पूर्ण निर्माण हेतु प्रस्तुत योजना की पूर्णतया समीक्षा की गयी। अपने परियोजना प्रबंधन प्रभाग की रिपोर्ट से प्राधिकरण पूर्णतया संतुष्ट था और इसी आधार पर प्राधिकरण ने आवंटियों के हितों की रक्षा और अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति के अनुरूप प्रोमोटर द्वारा प्रस्तुत परियोजना पूर्ण करने की योजना को स्वीकार करने योग्य माना।
वसुंधरा ग्रैंड ग्रुप हाउसिंग परियोजना सेक्टर-15, वसुंधरा योजना, गाजियाबाद में स्थित है जो मेसर्स नन्दिनी बिल्डहोम कॉन्सोर्टियम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही है। परियोजना के 2 टावरों की 320 आवासीय व 7 व्यवसायिक इकाइयों में से, 244 आवासीय व 1 व्यवसायिक इकाई का विक्रय हो चुका है। इस प्रकार से 76 आवासीय व 6 व्यावसायिक इकाइयों का विक्रय होना है। एक अनुमान के अनुसार कुल 148.40 करोड़ रुपये परियोजना से जुटाए जा सकते हैं, जिसमें मौजूदा आवंटियों से 66.58 करोड़ रुपए और शेष 81.81 करोड़ रुपए अन्य बची हुई इकाइयों की बिक्री करके जुटाए जा सकते हैं। परियोजना को पूरा करने व अन्य सभी प्रकार के व्यय कीअनुमानित लागत लगभग 67 करोड़ रुपए है और इस प्रकार परियोजना पूरी तरह से व्यवहारिक है और इसे आवंटियों की सहमति से प्रोमोटर द्वारा पूरा किया जा सकता है।
इसके लिए प्राधिकरण ने प्रोमोटर द्वारा प्रस्तुत परियोजना पूर्ण करने की योजना को स्वीकार करते हुए सख्त नियमों का पालन करने की शर्त रखी ताकि परियोजना सफलतापूर्वक पूरी की जा सके। ये शर्तें निम्न प्रकार से हैं:
- आदेश जारी होने की तारीख से 15 दिनों के भीतर, यानि 30 मई तक, प्रोमोटर 25 लाख रुपये की अग्रिम राशि परियोजना के नाम पर एक अलग बैंक खाते में जमा करेगा और आवंटियों से भविष्य के सभी भुगतानों की प्राप्ति और वित्तपोषकों से ली गई सहायता राशि, यदि कोई हो, भी इसी खाते में जमा की जाएगी। प्राधिकरण के आदेश दिनांक 17 मई 2022 के अनुसार इस खाते से प्राप्त राशि का उपयोग केवल रेरा अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुरूप परियोजना के निर्माण और विकास के लिए ही किया जाएगा।
- परियोजना की प्रगति की निगरानी यू.पी. रेरा के परियोजना सलाहकार एवं निगरानी समिति (पीएएमसी) एवं एक सदस्य की अध्यक्षता में की जायेगी। इसके अलावा निगरानी समिति में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के उपाध्यक्ष के साथ-साथ यू.पी. रेरा के कंसीलिएशन सलाहकार, वित्त नियंत्रक, तकनीकी सलाहकार, विशेष रूप से नियुक्त निर्माण सलाहकार और परियोजना प्रबंधन प्रभाग (पीएमडी) व आवंटी संघ द्वारा भी शामिल होंगे।