पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता की तालाब में डूबने से मौत, मछलियों को डाल रहे थे चारा

बहराइच। नानपारा विधानसभा क्षेत्र से बसपा के विधायक रहे मिलनसार नेता वारिस अली का रविवार सुबह तालाब में डूबने से मौत हो गई। यह समाचार जिले में फैली तो लोग चितिंत हो उठे। शुभचिंतक उनके आवास पर पहुंचने लगे। पुलिस ने घर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। बसपा से वारिस अली वर्ष २०१२ तथा गठबंधन से वर्ष २०१७ में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

कोतवाली नानपारा के मिहींपुरवा रोड निवासी वारिस अली (४४) जमीनी नेता था। राजनीति से पहले वारिस अली मिहींपुरवा कस्बे में रहते थे। मिहींपुरवा में ही वह पल्लेदारी व टेंट की दुकान का संचालन करते थे। इसके बाद पल्लेदारी में करने वाले सदस्यों ने उन्हें वर्ष २००३ में अपना नेता चुना। आंदोलन और जन भागीदारी में भाग लेने के कारण वारिस अली की नानपारा विधानसभा में अलग पहचान बनने लगी। रविवार सुबह पूर्व विधायक अपने नानपारा स्थित आवास पर तालाब में मछलियों को दाना डाल रहे थे। इसी दौरान पैर फिसलने से तालाब में गिर गए।

चिकित्सकों को बुलाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने पूर्व विधायक को मृत घोषित कर दिया। मौत की सूचना पूरे जिले में फैली तो उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई। आवास पर भारी संख्या में समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा। वहीं कोतवाली नानपारा की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। प्रथम दृष्टया मौत तालाब में गिरने और हार्ट अटैक से होना बताया जा रहा है। पूर्व विधायक के भाई हकीकत अली ने बताया कि तालाब में डूबने से मौत हुई है। मालूम हो कि वारिस अली ने वर्ष २००४ में बसपा ज्वाइन की थी। इसके बाद वर्ष २०१२ के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने टिकट दिया। और वह चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। लेकिन परिसीमन होने के कारण बलहा विधानसभा का गठन हुआ। वह वर्ष २०१३ में बसपा के चुनाव में नानपारा से चुनाव लड़े, लेकिन चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने विधानसभा चुनाव में वर्ष २०१७ से पहले कांग्रेस की सदस्यता ली। सपा और कांग्रेस के गठबंधन में वह नानपारा विधानसभा से चुनाव लड़े, लेकिन चुनाव हार गए।

टेंट व्यवसाय व पल्लेदारी से विधायक तक का यह रहा सफर

पूर्व विधायक वारिस अली मिलनसार नेता थे। वह मुस्लिम समुदाय के साथ हिंदू समुदाय में पैठ बनाए थे। यही कारण रहा कि पहली बार विधान सभा चुनाव लड़ने पर ही लोगों ने उन्हें विधायक चुन लिया। लेकिन ऐसी बदली कि वह वर्ष २००७ में हुए विधानसभा चुनाव में खुद विधायक बने।इसके बाद पत्नी गुलशन जहां को जिला पंचायत अध्यक्ष के बाद पर काबिज कराया।

चालक भी बन गया जिला पंचायत सदस्य

नानपारा क्षेत्र में वारिस अली की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष २००७ के विधानसभा चुनाव से पहले वह जिला पंचायत सदस्य थे। लेकिन विधायक बनने के बाद उन्होंने जिपं पद से इस्तीफा देते हुए चालक फैयाज को मैदान में उतारा और वह भी चुनाव जीत गए।

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