20 अगस्त, 2023 – वर्ल्ड मास्किटो डे पर डॉक्टरों ने डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचाव में रोकथाम की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है। मुख्य रूप से मच्छर के काटने से फैलने वाली ये बीमारियाँ एनीमिया और गंभीर गठिया सहित कई स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकती हैं।
जैसे-जैसे मच्छर जनित बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है, इन बीमारियों की घटनाओं और प्रभाव को कम करने के लिए निवारक उपाय अपनाना महत्वपूर्ण हो जाता है। अस्पताल की ओपीडी में आने वाले लगभग 30 फीसदी रोगियों में तेज बुखार, शरीर में दर्द और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं, जो डेंगू संक्रमण का संकेत हैं। इस स्थिति में डॉक्टर्स इन बीमारियों को रोकने के लिए सक्रिय उपायों के महत्व पर जोर देते है, ताकि इन बीमारियों से तत्काल प्रभाव से बचाव किया जा सके, दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताओं और पुन: संक्रमण के जोखिमों को कम किया जा सके।
डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू का दोबारा संक्रमण गंभीर हो सकता है, यह मरीज को डेंगू शॉक सिंड्रोम में भेज सकता है। मलेरिया और चिकनगुनिया के मामले में पुन: संक्रमण मस्तिष्क की क्रियाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे एनीमिया और मध्यम से गंभीर गठिया हो सकता है।
मच्छर जनित बीमारियों से बचने के लिए, डॉक्टर्स सरल लेकिन प्रभावी रणनीतियों की सलाह देते हैं, जिसमें पूरी बाजू के कपड़े पहनना, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना और मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल के रूप में काम करने वाले जमा पानी को हटाना शामिल है।
फोर्टिस अस्पताल ग्रेटर नोएडा में इंटरनल मेडिसिन के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. दिनेश कुमार त्यागी ने बताया, “कुछ डेंगू रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है और गंभीर मामलों में आईसीयू देखभाल की भी आवश्यकता होती है। डेंगू का प्रभाव प्रारंभिक संक्रमण के बाद लंबे समय तक बना रह सकता है, जो लंबे समय तक नजर आता है, जैसे शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द और दो से चार सप्ताह तक रहने वाली थकान।”
डेंगू संक्रमण की प्रकृति के बारे में बताते हुए, डॉ. दिनेश कुमार त्यागी ने बताया, “डेंगू वायरस के चार अलग-अलग उप-प्रकारों के कारण होता है जिन्हें डेन 1 से डेन 4 तक का नाम दिया गया है । पिछले संक्रमण से प्राप्त प्रतिरक्षा केवल विशिष्ट उपप्रकार के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। इसके बाद भी मरीज संक्रमण का शिकार हो सकते हैं । डेंगू के प्रारंभिक संक्रमण के दौरान तेज बुखार, दस्त और जोड़ों का दर्द जैसे प्रारंभिक लक्षण नजर आते हैं। डेंगू की गंभीरता वायरल लोड पर निर्भर करती है, जो इससे बचने के निवारक उपायों के महत्व को दर्शाती है।
ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस अस्पताल का बाल चिकित्सा विभाग भी डेंगू के मामलों पर नजर रख रहा है। बाल रोग विभाग में सलाहकार डॉ. मेघना पांचाल ने कहा, “हालांकि बच्चों में डेंगू के मामलों की मौजूदा संख्या चिंताजनक नहीं है, लेकिन उन्हें मच्छरों के काटने से बचाना महत्वपूर्ण है। यह उन्हें सुरक्षात्मक कपड़े पहनाकर, मच्छरदानी लगाकर हासिल किया जा सकता है, बाहर जाने पर मास्किटो रिप्लेंट का प्रयोग करना और अपने आसपास पानी का जमाव न होने देना।”