संतोष नेगी। बदरीनाथ मंदिर समिति द्वारा हर साल परंपरागत रूप से नर-नारायण जयंती का आयोजन किया जाता है और उत्सव यात्रा निकाली जाती है। बदरीनाथ मंदिर से माता मूर्ति मंदिर के लिए नर-नारायण उत्सव यात्रा की शुरुआत की गई और पूरे हर्षोल्लास के साथ अभिषेक और पूजन किया गया अभिषेक एवं परंपरागत पूजा के बाद बदरीनाथ मंदिर से नर-नारायण की उत्सव यात्रा माता द्वादशी पर्व पर भगवान बदरीनाथ अपने हजारों भक्तों के साथ अपनी माता मूर्ति से मिलने के बाद पुन: बदरीनाथ धाम में विराजमान हो गए हैं। माता मूर्ति मंदिर में दिनभर जय बदरीनाथ के जयकारे गूंजते रहे। इस दौरान बदरीनाथ धाम के कपाट भी छह घंटे तक बंद रहे।शाम को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद माणा गांव में माता मूर्ति मेला भी संपन्न हो गया। भगवान उद्धव, घंटाकरण (क्षेत्रपाल) और माता मूर्ति के अद्भुत मिलन को देखने के लिए तीर्थयात्रियों के साथ ही धाम में स्थानीय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी
प्राचीन कथा
बदरीनाथ धाम में बाल भोग लगने के बाद बदरीनाथ के प्रतिनिधि के रुप में उद्धव की उत्सव डोली ने हजारों भक्तों के साथ माणा गांव स्थित माता मूर्ति मंदिर के लिए प्रस्थान किया। तब भगवान बदरीनाथ ने प्रतिवर्ष बामन द्वादशी को माता मूर्ति से मिलने के लिए आने का वचन दिया था। आज भी बदरीनाथ अपनी माता को दिए वचन का निर्वहन करते आ रहे हैं। भगवान बद्रीनाथ केे प्रतिनिधि के रुप में उद्धव जी जाते हैं माता मूर्ति से मिलने बदरीनाथ धाम में भगवान बदरीनाथ काले पत्थर की शिला शालिग्राम पर पद्मासन में तपस्यारत हैं। लिहाजा बदरीनाथ के प्रतिनिधि के रुप में भगवान उद्धव जी महाराज उत्सव डोली में बैठकर माता मूर्ति से मिलने के लिए जाते हैं। दिनभर माता के साथ रहकर शाम को बदरीनाथ धाम में विराजमान हो जाते हैं।
धार्मिक परंपरा
देश का अंतिम गांव माणा शुक्रवार को बदरीविशाल के जयकारों से गुंजायमान रहा। कीर्तन-भजन का आयोजन किया गया। बदरीनाथ धाम से माता मूर्ति मंदिर तक करीब तीन किमी पैदल यात्रा चली।
करीब चार हजार तीर्थयात्री और हजारों स्थानीय श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए माणा गांव में भोटिया जनजाति के परिवार निवास करते हैं। ग्रामीण मेले को लेकर काफी उत्साहित दिखे। गांव की महिलाएं हाथ में हरियाली लेकर माता मूर्ति मंदिर पहुंची। जैसे ही बदरीनाथ की उत्सव डोली माता मूर्ति मंदिर पहुंची तो महिलाओं ने मांगल गीत गाकर मंदिर परिसर में मौजूद हजारों भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। बिनायक, चट्टी बैनाकुली, पांडुकेश्वर व जोशीमठ से भी सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण वाहनों और पैदल बदरीनाथ धाम पहुंचे है
देश का अंतिम गांव माणा शुक्रवार को बदरीविशाल के जयकारों से गुंजायमान रहा। कीर्तन-भजन का आयोजन किया गया। बदरीनाथ धाम से माता मूर्ति मंदिर तक करीब तीन किमी पैदल यात्रा चली।
करीब चार हजार तीर्थयात्री और हजारों स्थानीय श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए माणा गांव में भोटिया जनजाति के परिवार निवास करते हैं। ग्रामीण मेले को लेकर काफी उत्साहित दिखे। गांव की महिलाएं हाथ में हरियाली लेकर माता मूर्ति मंदिर पहुंची। जैसे ही बदरीनाथ की उत्सव डोली माता मूर्ति मंदिर पहुंची तो महिलाओं ने मांगल गीत गाकर मंदिर परिसर में मौजूद हजारों भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। बिनायक, चट्टी बैनाकुली, पांडुकेश्वर व जोशीमठ से भी सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण वाहनों और पैदल बदरीनाथ धाम पहुंचे है