मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।हिंदुत्व के मुद्दे पर ढीली पड़ती यूपी की भाजपा सरकार और संगठन जातिवाद का खुल्लम-खुल्ला कार्ड चल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश और बिहार के राजनैतिक संदर्भ में कई बार दुहरा चुके हैं कि “हम जातिवाद का जहर मिटा कर रहेंगे”। लेकिन भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के नेतृत्व पिछड़ी जातियों का जातिवार सम्मेलन कराया। जिसमें गैर पिछड़े समाज से आने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय भी शामिल हुए।
7 अगस्त से लेकर 24 सितंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में प्रजापति, राजभर, सविता-नाई , अर्कवंशी, खड़गवंशी, विश्वकर्मा, पांचाल, पाल, बघेल, लोधी, भुर्जी, निषाद, कश्यप, विंद, हलवाई, चौरसिया, यादव, जायसवाल, कसौधन, बॉथम, ओमर, डोजर, जाट, स्वर्णकार, कुर्मी, पटेल, गंगवार, चौहान, लोनिया, गुर्जर, दर्जी, छीपा, नामदेव, काकुत्सव, मौर्य, कुशवाहा और सैनी समाज का राजयमुख्यालय पर सम्मेलन करवाया। सभी सम्मेलन उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के प्रभाव के कारण लोकनिर्माण विभाग के राजकीय हॉल में सम्पन्न हुआ।
भाजपा के पिछड़ी जाति के सम्मेलन की सफलता से घबराकर कर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश के सभी 75 जिलों में पिछड़ी जातियों के सम्मेलन का ऐलान कर दिया।जिस पर तत्कार एक कदम आगे बढ़ते हुए अब भाजपा दलितों का भी जातिवार सम्मेलन करने की रूप रेखा का रोडमैप तैयार कर चुकी है। अभी तक भाजपा ने अपने दलित नेताओं को क्षेत्रवार सम्मानित करा के संबंधित जातियों के नेताओं के समाज में सेंध लगाने के जुगाड़ के नियत से जूझ रही थी। कांग्रेस ने भी प्रदेश भर के विभिन्न प्रकार के चुनिंदा मुहल्लों में बापू के रामधुन के साथ प्रभातफेरी निकाल रही है।जो 2 ओकटुबर तक चलेगा। इस संदर्भ में पत्रकार दिवस दुबे का कहना है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विभिन्न पार्टियां और नेता यूपी में जातिवार का इतना जहर बो देंगे कि यदि आम नागरिक जागरूक न रहे तो हर जिले का माहौल खराब होने का खतरा बढ़ जाएगा।