राज कुमार शर्मा / सैकड़ों लोग साल भर में एक बार जलने वाले बुराई के प्रतीक रावण का देहांत होते देखने के लिए इकट्ठा हुए। आखिर पूरी साल में एक बार होता है ऐसा जश्न, मानो पूरी साल के लिए इस अवसर को अपनी आँखों में कैद सा कर लेने की भूख हो। ऐसे में मेले में खाना-पीना, कुछ नए कपड़े ,बच्चों के लिए खिलौने इन सब के बिना भला दशहरे का मेला कहाँ पूरा हो पाता है। सभी अतिथी आ चुके हैं और वो भी जिनकी वजह से रावण के जलने में कुछ देर हुई। लेकिन अगर वो समय पर ही आ जाएँ तो फिर उनके और आम लोगों में के अंदर भला क्या अंतर रह जाएगा। सारी तैयारियाँ हो चुकी हैं। आज थोड़ी ज्यादा भीड़ है और धक्कामुक्की में रावण जलते देखने में थोड़ी तकलीफ सी हो रही है, तो पीछे करीब 150 से 200 मीटर पीछे ही दीवार के उस पार बीछी रेलवे लाइन पर खड़े होकर आनंद लिया जाए। अपने मोबाइल का कैमरा चालू करके जलते हुए रावण की विडीयो भी बना ली जाए आखिर घर पर जाकर घरवालोें को दिखाएंगे की कितना विशाल था और कैसे उसके जलने पर पटाखों की आवाज आईं। कुछ ने अपने बच्चे को अपने कंधे पर भी बिठा रखा है वहाँ पास में खड़े होकर देखने में बच्चे के भीड़ से दबने का भी ड़र था। रावण का जलना शुरू हुआ , नीचे से लगी आग पटाखों की आवाज के साथ धीरे-धीरे ऊपर बढ़ी और साथ ही इससे हर्षोल्लाहित भीड़ की तालियाँ सीटीयाँ और जयकारों की आवाज भी तेज हुई। सभी के चेहरे पर एक अलग ही खुशी का भाव था और खुशी में नाच और झूम रहे थे। बस इतने में ही कुछ जानी पहचानी सी आवाज आई और कुछ समझने से पहले ही एक जोरदार धक्का सा लगा। पाँच सेकेण्ड के अंदर उन नाचते, झूमते, शोर मचाते लोगों के कटे हुए शरीर के हिस्से नीचे बिखरे हुए थे। करीब साठ से भी जयादा लोगों की जान वहीं चली गई और करीब इतने ही लोग मौत से जि़ंदगी को छीनने की जद्दोजहद कर रहे थे। इस पाँच के अंदर बस एक ट्रेन का आना हुआ जो अपनी सवारियों के साथ सैकड़ों परिवारों की खुशीयों को अपने साथ कहीं दूर लेकर चली गई। उसके गुजरते ही कुछ कटे हुए शरीर जो या तो हमेशा के लिए इस दुनियाँ को अलविदा कह गए या फिर मौत से आज भी जूझते हुए एक सवाल छोड़ गए की जिम्मेदार कौन…..
कुछ सवाल जिनका उठना लाज़मी है
- जब पास में ही रेलवे ट्रेक था तो वहाँ पर आयोजन करने की क्या जरूरत थी
- पुलिस का कहना है की उन्हे कार्यक्रम की सूचना थी तो ऐसी जगह कार्यक्रम करने देने की परमीशन क्यों दी गई।
- अटल बिहारी के बिमार होने की खबर पर सबसे पहले देखने जाने वाली बात कहने वाले राहुल गांधी के पार्टी से ही मुख्यमंत्री घटनास्थल पर तुरंत क्यों नहीं गए।
- पंजाब पुलिस ने पहले से तैयारियाँ क्यो नहीं की जबकी उन्हें पता था की यहाँ आयोजन हो रहा है।
- इस जगह पर हर साल ऐसा आयोजन होने वाली बात के पता होने पर भी रेलवे ने क्यों ये सब होने दिया।