11दिसंबर को छत्तीसगढ सहित पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आ रहे हैं। ऐसे में सभी दलों की धड़कनें तेज हो गयी है।तीनों राज्यों के रुझानों में कांग्रेस आगे चल रही है। यदि राज्य में बीजेपी सरकार नहीं बना पाती है तो छत्तीसगढ में मुखमंत्री डॉ. रमन सिंह की मुश्किलें भी बढ़ सकती है।
कहा जा रहा है कि एक ऐसे घोटाले से जुडी डायरी सामने आयी है जिसमें मुख्यमंत्री और उनके परिजनों सहित कई मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों के नाम कोड वर्ग में अंकित है।पता हो कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में चुनावी प्रचार के दौरान यह आरोप लगाते रहे कि मुख्यमंत्री रमनसिंह और उनका परिवार पनामा घोटाला में शामिल है। यहां नए छत्तीसगढ़ परियोजना में भी व्यापक भ्रष्टाचार हुआ था।
वहीं जमीनी हकीकत यही बयां कर रही है कि छत्तीसगढ़ में सरकार रमन सिंह नहीं बल्कि उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी अमन सिंह चला रहे थे जो कि नॉन आईएएस हैं।उनकी मनमानी के कारण पूरा ब्यूरोक्रेसी के साथ-साथ विधायक और मंत्री मुख्यमंत्री रमन सिंह से नाराज चल रहा थे। साथ ही कहा जा रहा है कि कोई आईएएस, आईपीएस एक नॉन आईएएस को स्वीकार नही कर पा रहा था।
यदि छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की सत्ता जाती है तो इसमे अमन सिंह एक बड़ा कारक माने जाएंगे। क्योंकि उनके ही कई विधायक व मंत्री अमन सिंह की वजह से मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे थे। कहा जाता है कि बिना अमन सिंह को पैसा दिए उनकी पार्टी के लोगों का कोई काम ही नहीं हो पाता था। ये कहने में कोई गुरेज नही होना चाहिए कि सीएम रमन सिंह के नाम पर सरकार चला रहे अमन सिंह ने ही पीएम मोदी और अमित शाह के मिशन 65 को पलीता लगाया है।