भाजपा का सूपड़ा साफ करते हुए कांग्रेस 3 राज्यों में सरकार बनाने जा रही है।पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा का जितना बुरा हाल छत्तीसगढ़ में हुआ, उतना किसी भी राज्य में नही हुआ। एंटी एनकंबेंसी के बावजूद कुछ नेता अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे जिसमें से एक हैं रायपुर साऊथ की सीट से जीतने वाले नेता बृजमोहन अग्रवाल। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भाजपा का सूपड़ा साफ होने से बृजमोहन अग्रवाल ने चुनाव जीतकर बचाया। बदलाव की इस सुनामी में रायपुर जिले की सभी सीटों में से सिर्फ बृजमोहन ही रिकॉर्ड मतों से जीते, बाकी सभी सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया। सत्ता विरोधी लहर के बीच छतीसगढ़ बीजेपी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता मोहन भैया यानि बृजमोहन अग्रवाल ने 17,496 रिकाॅर्ड वोटों से जीत हासिल की। उन्होंने दक्षिण रायपुर सीट से जीत हासिल की है। ये उनकी लगातार सातवीं जीत है, जो एक रिकार्ड है।
‘मोहन भैया’के नाम से मशहूर बृजमोहन अग्रवाल शहरी वोटों को अपनी ओर करने में कामयाब रहे। इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि बृजमोहन अग्रवाल को छत्तीसगढ़ में नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। उन्हें प्रदेश में बीजेपी के विधायक दल के नेता की कमान सौंपी जा सकती है। जिस प्रकार से बृजमोहन अग्रवाल का परफार्मेंस रहा है वो इस बात की ओर इंगित करता है कि जल्द ही उन्हें पार्टी नई कमान देने जा रही है। वैसे भी बीजेपी और आरएसएस की यह नीति रही है कि किसी चेहरे का दो-तीन बार से ज्यादा आगे नहीं बढ़ाया जाए। चूंकि छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने रमनसिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि इस चुनाव में हार की जिम्मेवारी उनकी है।
वहीं छत्तीसगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, मध्य प्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं राजस्थान से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को केंद्र में स्थान मिल सकता है। कहा जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने पहले ही मन बना लिया था कि नतीजे आने के बाद इन तीन राज्यों में चेहरा बदला जाएगा। उनके अनुभवों का इस्तेमाल भाजपा केंद्र या संगठन में कर सकती है। यह भी कहा जा रहा है भाजपा ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में उन नेताओं की पहचान भी कर ली है जिन्हें इन राज्यों में आगे बढ़ाया जाएगा। उनमें से छत्तीसगढ़ से बृजमोहन अग्रवाल का नाम सबसे आगे है। इसका असर यह होगा कि बीजेपी का परंपरागत ब्राह्मण-बनिया का वोट जो इस चुनाव में उससे जा छिटका, वो बृजमोहन अग्रवाल के आगे आने से फिर से बीजेपी के साथ आ सकता है। फिलहाल यह तो तय माना जा रहा है कि बीजेपी का निर्विवाद चेहरा के कारण बृजमोहन अग्रवाल को विधायक दल का नेता निर्विरोध रूप से बनाया जाएगा जो जनता की आवाज को सरकार तक प्रखर रूप से पहुंचा सके।
बृजमोहन अग्रवाल की जीत यह साबित करती है कि कृषि मंत्री से लोगों को कोई नाराजगी नहीं थी बल्कि प्रदेश सरकार की नीतियों से लोग नाराज थे। कहा जा रहा है कि सूचना क्रांति के नाम पर मोबाइल पर करोड़ों रूपए खर्च कर दिया गया और भ्रष्टाचार हुआ। यदि यही राशि किसानों के कर्ज माफी अथवा जनता के रोजी-रोटी पर खर्च किया गया होता तो आज छत्तीसगढ़ की तस्वीर कुछ और ही होती।