अभिषेक उपाध्याय/चीन में उइगर मुसलमानों का बुरा हाल है। आरोप है कि उनके साथ टॉर्चर की घटनाएं अब सीमा पार कर रही हैं। चीन की इन मुसलमानों के साथ जिस कदर अमानवीय बर्ताव की तस्वीरें सामने आ रही हैं, वह हैरान करने वाली हैं। मगर उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली है चीन की इस हरकत पर मुस्लिम राष्ट्रों की चुप्पी। मुस्लिम देशों खासकर पाकिस्तान की यह चुप्पी इशारा करती है कि सियासी फायदे के लिए किस कदर मानवाधिकारों की बलि दे दी जाती है। यह वही पाकिस्तान है जो कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का झूठा मामला दिन-रात उठाता रहता है। चीन भी इस मुहिम में आगे बढ़ कर उसका साथ देता है पर चीन अपनी सीमाओं के भीतर हो रहे उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों का जमकर हनन कर रहा है। इस पर पाकिस्तान भी चुप है।
चीन अपने अशांत शिनजियांग क्षेत्र में उइगर मुस्लिमों पर शिकंजा कसने के लिए कई तरह की पाबंदिया लगा चुका है। उन पर नजर रखने के लिए उसने कई उपाय किए हैं। ताजी जानकारी चौंकाने वाली है। अब खबर है कि चीन इस प्रदेश के हिरासत केंद्रों में रखे गए उइगर मुस्लिमों के रक्त के नमूने जुटा जा रहा है। ऐसा बड़े पैमाने पर डीएनए नमूने जुटाने के प्रयास के तहत किया जा रहा है। इस बारे में हालांकि कोई खुलकर नहीं बोल रहा, लेकिन दबी जुबान से यह बताया जा रहा है कि चीनी वैज्ञानिक डीएनए के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति के चेहरे की छवि बनाने का तरीका खोजने का प्रयास कर रहे हैं। ये बेहद खतरनाक प्रवृत्ति है।
चीन के मुसलमानों पर अत्याचार की ये बेहद लंबी फेहरिस्त है। उइगर मुस्लिम बहुल शिनजियांग में चीन ने बड़े पैमाने पर हिरासत केंद्र बना रखे हैं। इनमें दस लाख से ज्यादा उइगरों को रखा गया है। यह आंकड़ा पूरी दुनिया को हैरान करने वाला है। चीन हालांकि इन हिरासत केंद्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र करार देता है।
इस बात की भी आशंका जताई जा रही है है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट सरकार डीएनए नमूनों से तैयार तस्वीरों का उपयोग व्यापक निगरानी और चेहरा पहचाने की प्रणालियों में कर सकती है। इससे असंतुष्टों और प्रदर्शनकारियों की खोजबीन करने के साथ ही अपराधियों को पकड़ने में भी मदद मिलेगी। चीन इस तकनीकि का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर मुसलमानों की पहचान करने और उनके उत्पीड़न में कर सकता है।
चीन के जन सुरक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाली कई प्रयोगशालाओं में डीएनए से चेहरा बनाने की तकनीक पर शोध चल रहा है। चीन के मकसद को लेकर ऐसा माना जा रहा है कि चीन नस्ली प्रोफाइल पढ़ने की तैयारी में है तैयार हो सकता है। इससे उइगरों के साथ और भेदभाव हो सकता है। हालांकि इस तकनीकि पर काम करने वाला चीन इकलौता मुल्क नही है। डीएनए की मदद से चेहरा उकेरने की तकनीक पर अमेरिका समेत कई अन्य देशों में भी काम किया जा रहा है। इस तकनीक का विकास अभी प्रारंभिक अवस्था में है। इससे किसी संदिग्ध व्यक्ति के चेहरे का मोटे तौर पर खाका खींचा जा सकता है। मगर चीन का निशाना बेहद साफ है। वह मुसलमानों को निशाना बनाना चाहता है।
चीन इस समय इस्लाम के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस्लाम को मानने वाले उइगर समुदाय के लोग चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग प्रांत में रहते हैं। इस प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है। तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की इस क्षेत्र में आबादी एक करोड़ से ऊपर है। इस क्षेत्र में उनकी आबादी बहुसंख्यक थी। लेकिन धीरे धीरे सब बदलता जा रहा है। चीन की दावेदारी लगातार बढ़ रही है। मुसलमानों की जनसंख्या नियंत्रित करने का उसका तरीका बेहद खौफनाक माना जा रहा है। मगर पाकिस्तान को इससे जरा भी तकलीफ नही है।
दरअसल उइगर मुसलमान लगातार चीन के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ चला रहे हैं। इस आंदोलन का मतलब अगल राष्ट्रीयता से माना जा रहा है। इतिहास के आइने में देखें तो साल 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान को एक अलग राष्ट्र के तौर पर कुछ समय के लिए पहचान मिली थी, लेकिन उसी साल यह चीन का हिस्सा बन गया। यही अब चीन का शिनजियांग प्रांत है। साल 1990 में सोवियत संघ के पतन के बाद इस क्षेत्र की आजादी के लिए यहां के लोगों ने काफी संघर्ष किया। मगर चीन ने ऐसे सभी संघर्षों को नेस्तनाबूद कर दिया।
अब चीन यहां जनसंख्या का संतुलन बदलने में लगा हुआ है। इसके पीछे हान चीनी तेजी से काम कर रहे हैं। बीते कुछ समय के दौरान इस क्षेत्र में हान चीनियों की संख्या में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है। उइगरों का कहना है कि चीन की वामपंथी सरकार हान चीनियों को शिनजियांग में इसीलिए भेज रही है कि उइगरों के आंदोलन ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ को दबाया जा सके। यही वजह है कि अब झड़प भी शुरू हो गई है। चीन की वामपंथी सरकार के इस रुख के चलते इस क्षेत्र में हान चीनियों और उइगरों के बीच टकराव की खबरें तेज होती जा रही हैं। इसी साल अक्टूबर में बीजिंग में एक कार बम धमाके में पांच लोग मारे गए जिसका आरोप उइगरों पर लगा। उइगरों पर अत्याचार के मामले विदेशी मीडिया के चलते सामने आ जाते हैं। चीनी मीडिया में इसका कहीं कोई कवरेज नही है।
चीनी सरकारी मीडिया के मुताबिक इस सब के लिए उइगरों का संगठन ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ दोषी है। उसमें छपी खबरों के मुताबिक इस हिंसा के लिए विदशों में बैठे उइगर नेता जिम्मेदार हैं। इन मामलों को लेकर चीन में कई उइगर नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया है। वहीं, उइगर नेता और यह संगठन इन सभी आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताते हैं। उनका कहना है कि इन सभी मामलों के लिए चीनी सरकार दोषी है।
अब बात यहां तक पहुंच गई है कि चीन शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुसलमानों के पूर्वजों की कब्रों को नष्ट करने में जुटा है। इस सबके पीछे विशेष डिजाइन बताई जा रही है। आरोप है कि अल्पसंख्यक समुदाय की सांस्कृतिक पहचान मिटाने के लिए उनके प्रभुत्व की जगहों पर कार पार्किंग और खेल के मैदान बनाए जा रहे हैं। खबरें यहां तक हैं कि चीन सरकार उइगरों की मस्जिदें तोड़ रही है। बच्चों को माता-पिता से अलग किया जा रहा है। इसे सांस्कृतिक नरसंहार भी कहा जा रहा है। मगर पाकिस्तान चुप है। वह अपने स्वार्थ के चलते चीन के खिलाफ एक शब्द ही कहने को तैयार नही है।