नई दिल्ली। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भिखारियों के व्यापक पुनर्वास की योजना के पुनर्गठन और प्रतिपादन का प्रस्ताव किया है। यह भिक्षावृति के कृत्य में लगे व्यक्तियों के लिए एक व्यापक योजना होगी। इसमें पहचान, पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान, परामर्श, शिक्षा, कौशल विकास आदि शामिल होंगे। इस काम में राज्य सरकारें/केन्द्र शासित प्रदेश/स्थानीय शहरी निकाय, स्वैच्छिक संगठन और संस्थान मदद करेंगे। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि यह योजना वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान सबसे बड़े भिखारी समुदाय वाले चुनिंदा शहरों में लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ‘हर एक काम देश के नाम’ के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ मिशन मोड में काम कर रही है।
इस योजना की पायलट परियोजना 2019-20 के दौरान शुरू की जाएगी। बशर्ते कि राज्य सरकारों द्वारा शहर निर्दिष्ट कार्य योजना का प्रस्ताव दिया जाए। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को शतप्रतिशत सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
2017-18 के दौरान मंत्रालय ने पायलट आधार पर भिखारियों के कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए 2018-19 के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम को एक करोड़ 50 लाख रुपये की राशि जारी की थी। निगम ने वेयर हाउस में पैकिंग का कार्य, हाथ से अगरबत्ती बनाने, हाथ से कढ़ाई करने जैसे कार्यों में भिखारी समुदाय के 400 सदस्यों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इसके अलावा निगम ने स्वरोजगार के लिए टेलर, कॉइर दस्तकारों और कारपेंटर के रोजगार में भिखारी समुदाय के 160 सदस्यों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वीकृत किए हैं। वर्ष 2019-20 के दौरान इस मंत्रालय ने राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान (एनआईएसडी) के लिए एक करोड़ और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के लिए 70 लाख रुपये की राशि भिखारियों के कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए जारी की है।