अमेठी जिले में स्वच्छ भारत मिशन का दावा औंधे मुंह नजर आ रहा है. अव्वल तो यहां कई गांव में शौचालय पूरी तरह बने ही नहीं हैं. जहां बने भी वहां आधे-अधूरे या फिर उनका निर्माण इतना घटिया हुआ कि देखते ही हालात समझे जा सकते हैं. शौचालय निर्माण के समय से ही आवाज उठती रहीं कि इनकी गुणवत्ता ठीक नहीं हैं. ग्रामीणों ने आरोप लगाए कि जिन हाथों में इन्हें बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है वे भ्रष्टाचार कर रहे हैं. शौचालय ठीक से नहीं बन पा रहे, लेकिन जिम्मेदारों ने कोई सुध नहीं ली. नतीजतन स्वच्छ भारत योजना के तहत बनाए जा रहे शौचालय फिसड्डी साबित हो रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारियों के आदेश का कोई अर्थ नहीं निकलता दिख रहा है.
जिले में मुसाफिरखाना विकासखण्ड के करपिया में बनाये गए शौचालयों का बहुत बुरा हाल है. गाँव की महिला अमरावती ने बताया कि वर्ष 19-20 में बने शौचालय की छत पिछले हप्ते भरभरा कर गिर पड़ी. गनीमत रही कि कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ. तो वहीं जैलाल पुत्र शोभे के परिजनों ने बताया कि उनका शौचालय तो बना दिया गया लेकिन शौचालय का गढ्ढा खोदकर खुला छोड़ दिया गया. जिसमें आये दिन जानवरों के बच्चे गिर रहे हैं और लगातार हादसे की आशंका बनी रहती है. करपिया गाँव के राम किशोर ने आरोप लगाते हुए शिकायत कि उनके शौचालय की एक क़िस्त का पैसा निकाल लिया गया है और पैसा भी उन्हें नही दिया गया है.
इस सम्बन्ध जब ग्राम सचिव मनीष से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें एक क़िस्त दे दी गई है. इसी गांव के ग्रमीण राम किशुन सुत रामेश्वर, सावित्री पत्नी राम यश ने बताया कि उन्हें शौचालय नहीं दिया गया. जिससे वे और उनका परिवार खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.
वहीं जब इस मामले को लेकर को एडीओ पंचायत मुसाफिरखाना अरविंद प्रकाश श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी नहीं है और इस सम्बंध में ग्राम सचिव से बात कर जांच करवाई जाएगी.