धर्मवीर गुप्ता
सिद्धार्थनगर जिले के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कर्मचारी आचरण नियामवली को ताक पर रखकर गैरकानूनी तरीके से करोड़ों रुपयों की हेराफेरी किए जाने का मामला उजागर हुआ है. जिसमें विभाग के अधिकारियों और अधीक्षकों की मिलीभगत से स्वयं के लाभ के लिए विभाग में ही काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के पारिवारिक फर्म को करोड़ों का भुगतान किया गया।
कोरोना महामारी से लोगों को बचाने के लिए जहां एक ओर स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर रात दिन सेवा में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर विभाग में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इनकी सेवा के बदले स्वयं भ्रष्टाचार का मेवा खाने में लगे हुए हैं।
यहां हम आपको बताते चलें कि स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे किसी भी कर्मी द्वारा या उसके ब्लड रिलेटिव यानी कि रिश्तेदार द्वारा विभाग में ठेकेदारी करने का नियम नहीं है. जबकि यहां तो ऐसे ठेकेदारों की कमी नहीं है. जिनके नाम हर साल लाखों-करोड़ों रुपयों का बंदरबाट किया जाता है।
स्वास्थ्य महकमे में चल रहे इस घोटाले के बारे में जब हमने सीएमओ यानी मुख्य चिकित्सधिकारी से बात करनी चाही तो उनके सुर तो ऐसे लगे. जैसे उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं हो।
देखा आपने कैसे स्वास्थ्य विभाग के सबसे बड़े अधिकारी यानी सीएमओ को ये पता ही नहीं की उनके जाने बिना ही लाखों-करोड़ों का भुगतान उनकी कलम से विभाग में कार्यरत कर्मचारी को हो गया. जबकि महोदय के बिना जानकारी के यहां एक पत्ता भी नहीं हिलता।
ये हाल केवल सीएमओ साहब का नहीं जिले के लगभग सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षक और जिला क्षय अधिकारी का भी यही हाल है. जिनके द्वारा स्वास्थ्य विभाग में कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मी के पारिवारिक फर्मों को लाखों-करोड़ों का भुगतान किया जा रहा है. वो भी कर्मचारी आचरण नियामवली के विरूद्ध।