
भारत समरसता मंच ने किया ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन
समाज के अंतिम पायदान पर खडे़ व्यक्ति के हित में काम करके ही अंत्योदय की अवधारणा को चरितार्थ किया जा सकता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों के भारत के निर्माण के लिए आवश्यक है कि हम उनके द्वारा दिखाये गए मानव कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो और देने के सुख को अपने जीवन में महत्व दें। यह विचार प्रमुख राष्ट्रवादी एवं समाजधर्मी चिंतक श्री इंद्रेश कुमार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष में भारत समरसता मंच की ओर से आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस आयोजन में हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार, गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति प्रो.आलोक चक्रवाल, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो.नागेश्वर राव, लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो.रमेश पांडे, पंजाब विश्वविद्यालय,चंडीगढ़ के कुलपति प्रो.राजकुमार, अरूणोदय विश्वविद्यालय, अरूणाचल प्रदेश के कुलपति प्रो.वीएन शर्मा व हरियाणा के राज्य सभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया।
भारतीय समरसता मंच, नई दिल्ली के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री इंद्रेश कुमार ने मौजूदा समय में पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय की ओर से दिखाए गए अंत्योदय व एकात्म मानव दर्शन की आवश्यकता और उससे देश, दुनिया की समूची मानव जाति के कल्याण में मिलने वाले सहयोग की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि पंड़ित जी ने अपने छोटे से जीवन काल में मानव कल्याण का जो मार्ग प्रशस्त किया था उसके सहारे ही हम विश्व कल्याण की राह पर अग्रसर हो सकते हैं।
उन्होंने अंत्योदय की अवधारणा पर विचार प्रस्तुत करते हुए विश्व में उत्पन्न मौजूदा अशांति और आंतकवाद से राहत का मार्ग दिखाया। श्री इंद्रेश कुमार ने इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों का आह्वाहन करते हुए उन्हें मानव कल्याण हेतु अंतिम छोर पर खडे़ मानव की बेहतरी के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि जब तक हमारी प्रयासों का लाभ उस व्यक्ति तक नहीं पहुंचेगा हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों का भारत नहीं बना सकेंगे। आयोजन को संबोधित करते हुए हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार ने कहा कि पंडित जी ने बेहद कम उम्र में ही देश-दुनिया के समक्ष जो एकात्म मानव दर्शन की अवधारणा प्रस्तुत की वो दर्शाती है कि वो समाज व मानव कल्याण के प्रति किस तरह का समपर्ण भाव रखते थे। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के समय उनकी उम्र मात्र 30 वर्ष के आसपास रही होगी और आज जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे है तो हमें इस बात पर विचार करना होगा कि आजाद भारत के विकास और मानव कल्याण का जो सपना उस युवा ने देखा था उसे कैसे साकार किया जा सकता है।
इग्नू के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने भी इस मौके पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके दिखाये मार्ग पर चलकर ही हम विश्व कल्याण का लक्ष्य पा सकते है इसलिए जरूरी है कि हम इस दिशा में मिलकर प्रयास करें। इसी क्रम में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति प्रो.आलोक चक्रवाल व पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के कुलपति प्रो.राजकुमार ने भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के विश्वविद्यालयों के स्तर पर अध्ययन की दिशा में ठोस कदम उठाने पर जोर दिया। हरियाणा के राज्य सभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कौशल विकास के माध्यम से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के उस सपने को साकार करने के प्रयासों का उल्लेख किया जिसके माध्यम से अंतिम पंक्ति में खडे़ व्यक्ति को सबल व सक्षम बनाया जा रहा है।
आयोजन को संबोधित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रमा शर्मा ने कहा कि भारत एक सक्षम और मजबूत राष्ट्र है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जो मानव कल्याण, एकात्म मानव दर्शन का जो मार्ग दिखाया है उसका अनुसरण करते हुए हम निरंतर विश्व समुदाय का नेतृत्व करने की दिशा में अग्रसर है। भारतीय समरसता मंच के राष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर पीसी पतंजलि ने कहा कि अवश्य ही इस मंच के माध्यम से प्रस्तुत विचार को जमीन स्तर पर उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि जो मार्ग श्री इंद्रेश कुमार द्वारा दिखाया गया है हम सभी सहभागी उसका अनुसरण का मानव कल्याण की दिशा में अपने भागीरथी प्रयासों को जारी रखेंगे।
कार्यक्रम के अंत में आयोजन के सह-संयोजक व महात्मा ज्योतिबा फूले फाउंडेशन के महासचिव डॉ.जीएस चौहान ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से 150 से अधिक प्रतिभागी शिक्षक, शोद्यार्थी व प्रशासनिक पदों पर आसीन अधिकारी व कर्मचारी आदि ऑनलाइन सम्मिलित रहे।