अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कोलंबो में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे से मुलाकात की। इससे पहले अडानी की कंपनी ने कोलंबो पोर्ट के पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल (डब्ल्यूसीटी) को बनाने और चलाने के लिए राज्य के स्वामित्व वाली श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (एसएलपीए) के साथ सौदा किया था। राष्ट्रपति राजपक्षे के मीडिया सलाहकार किंग्सले ने कहा, राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपनी डायरी में दर्ज किया है कि वह ‘एक भारतीय मित्र’ से मिले थे।
हालांकि अडानी समूह ने इस बैठक की कोई पुष्टि नहीं की हैं। और न ही अडानी समूह को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब मिला हैं। लेकिन, अडानी ने मंगलवार को ट्वीट किया, राष्ट्रपति @GotabayaR और PM @PresRajapaksa से मिलने का सौभाग्य मिला। मालूम हो कि, कोलंबो पोर्ट के वेस्टर्न कंटेनर टर्मिनल को बनाने के अलावा, अदानी ग्रुप अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर में भी पार्टनरशिप करेगा। श्रीलंका के साथ भारत के मजबूत संबंध सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंधों से जुड़े हैं। स्थानीय मीडिया ने श्रीलंका के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा कि सिर्फ बंदरगाह ही नहीं, अडानी समूह ने द्वीप के बिजली क्षेत्र में निवेश करने में रुचि दिखाई है।
सीईबी के उपाध्यक्ष नलिंदा इलंगाकून ने कोलंबो में संवाददाताओं से कहा, अडानी समूह ने कल (सोमवार) श्रीलंका के बिजली क्षेत्र में निवेश की संभावना तलाशी हैं। इलंगाकून ने कहा कि गौतम अडानी और वरिष्ठ अधिकारियों के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को श्रीलंका वायु सेना के हेलीकॉप्टर से मन्नार के पूर्वोत्तर जिले में बिजली ऊर्जा फार्म का निरीक्षण किया। निवेश बोर्ड ने कहा कि 100 मेगावाट की क्षमता वाले मन्नार बिजली ऊर्जा पार्क का दूसरा चरण संभावित निवेशकों के लिए बिल्ड, ओन, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओओटी) आधार पर खुला है। स्थानीय मीडिया ने इस हेलीकॉप्टर यात्रा को कवर किया।
भारत-श्रीलंका संबंधों में यह सौदा एक औपचारिक मिलन की शुरुआत है। कोलंबो बंदरगाह पर $700 मिलियन बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) वेस्ट कंटेनर टर्मिनल (डब्ल्यूसीटी) जो अदानी को मिला है, वह श्रीलंका के बंदरगाह क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश होगा।
कोलंबो के प्रभावशाली राजनीतिक विश्लेषक जेहान परेरा ने कहा, श्रीलंका में हम इस क्षेत्र में चीन को शामिल करने के भारत के कदम के रूप में देखते हैं।त्रिपक्षीय संयुक्त उद्यम श्रीलंका की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की बुनियादी ढांचा कंपनी हैं। जॉन एफ कील्स (जेएफके), और राज्य के स्वामित्व वाली श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (एसएलपीए) में शामिल है। जेकेएफ की 34 फीसदी और एसएलपीए की 15 फीसदी हिस्सेदारी है, बाकी हिस्सेदारी अदानी समूह की है।
श्रीलंका के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, एडम रवींद्र सी विजेगुनारत्ने ने कहा कि, कोलंबो पोर्ट के पूर्वी टर्मिनल को भारत, जापान और श्रीलंका के राज्य के स्वामित्व वाली श्रीलंका पोर्ट अथॉरिटी द्वारा संयुक्त रूप से निर्माण किया जाना था। लेकिन ट्रेड यूनियनों के दबाव के कारण इस परियोजना को रद्द करना पड़ा था। जापान और भारत दोनों गुस्से में थे और इसने गहन कूटनीतिक कार्य किया, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा कोविड -19 महामारी के प्रकोप पर कोलंबो यात्रा भी शामिल थी। ताकि भारत को स्क्रैप की गई परियोजना के बदले में पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल मिल सके। हालांकि, श्रीलंका में सरकार बदल गई थी, नए प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे ने महसूस किया कि सरकारों को इसमें नहीं खींचना बेहतर है। और फिर अडानी समूह को निवेश करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
विजेगुणरत्ने ने कहा, भारत का 60 प्रतिशत कंटेनर ट्रैफिक कोलंबो से होकर गुजरता है। इसलिए यह भारत के लिए एक बहुत ही उपयोगी जगह होगी। इसमें काम ज्यादा नहीं है: बंदरगाह गहरा है और जो कुछ करने की जरूरत है वह एक घाट और बंदरगाह का निर्माण करना है। जहां कंटेनरों को रखा जाना है। उन्होंने आगे कहा, ट्रांस-शिपमेंट क्षेत्र में भारत के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने वाला है।