सरकार का रिन्यूएबल एनर्जी को बेस लोड के रूप में आगे बढ़ाने का प्लान है जिसका मतलब ये है कि पारंपरिक उर्जा की खपत से पीछे हटना होगा। मतलब साफ है रिन्यूएबल एनर्जी को प्राथमिकता देनी होगी और जब रिन्यूएबल एनर्जी उत्पन्न नहीं हो रही हो फिर पारंपरिक उर्जा का इस्तेमाल किया जा सकता है। संदेश साफ है पावर प्लांट अब फ्लेक्सी ऑपरेशन मोड पर काम करें यानी पावर प्लांट को अब रैंप अप और डाउन, स्टार्ट-स्टॉप मोड में संचालित करने के लिए फ्लेक्सी मोड पर इंजीनियर करना होगा। हम आपको बता दें कि देश के ज्यादातर प्लांट फ्लेक्सी मोड ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए है। लेकिन अदाणी पावर प्लांट ने इसकी तैयारी अभी से ही शुरु कर दी है। कंपनी अपनी नई यूनिट को फ्लेक्सी मोड में संचालित करने के लिए डिजाइन कर रही है।
अदाणी पावर के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल सरदाना ने कहा कि “एक थर्मल प्लांट को बेस लोड ऐसेट के रूप में लगातार संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हर रैंप के ऊपर और नीचे स्टार्ट-स्टॉप के साथ इसकी लाइफ लाइन प्रभावित होती है। चूँकि थर्मल प्लांटों के लिए संतुलन भार को पूरा करना जरुरी है और बेस लोड को रिन्यूएबल सोर्स के माध्यम से पूरा किया जाना है। मांग के अनुसार दिन के दौरान उत्पादन को कई बार ऊपर या नीचे बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। इससे हमारे उपकरणों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है, इसे कम करने के लिए, कंपनी अपनी नई यूनिट को फ्लेक्सी मोड में संचालित करने के लिए डिजाइन कर रही है जबकि मौजूदा इकाइयों को भी फिर से इंजीनियर किया जा रहा है। ”
अदाणी ने अपने रायगढ़ यूनिट को फ्लेक्सी मोड में संचालित करने के लिए फिर से इंजीनियर किया है और बाकि प्लांट को भी फ्लेक्सी बनाने का मूल्यांकन किया जा रहा है।
कंपनी मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी नेक्स्ट जनरेशन की डिजिटल टेक्नोलॉजी में निवेश कर रही है। इसका अहमदाबाद में एक अत्याधुनिक ऊर्जा नेटवर्क ऑपरेटिंग सेंटर (ईएनओसी) है जो रियल टाइम के आधार पर सभी यूनिट के ऑपरेटिंग पैरामीटर की मॉनिटरिंग करता है। इसने अब एनालिटिक्स सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एसीओई) की स्थापना की है जो इन-हाउस डेटा एनालिटिक्स के माध्यम काम करता है।
क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर है जो विश्लेषण, तर्क और सीखने जैसे मुश्किल काम को करने के लिए इंसान के सोचने के तरीकों की नकल करता है। वहीं मशीन लर्निंग- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक सबग्रुप है जो डाटा पर प्रशिक्षित एल्गोरिदम का उपयोग ऐसे मॉडल तैयार करने के लिए करता है। वहीं इंटरनेट ऑफ थिंग्स की बात करें तो ये डिवाइस टेंपरेचर, नमी और स्थान जैसे कई मापदंडों का रियल टाइम डेटा उपलब्ध कर सकते है जिससे बिजनेस सिस्टम की रियल टाइम मॉनिटरिंग कर सकते है।
कंपनी एक अत्याधुनिक एपीएम – एसेट परफॉर्मेंस मॉनिटरिंग मॉड्यूल लागू कर रही है। जो आईओटी के माध्यम से रियल टाइम डेटा उपलब्ध करवाएगा।
कैसे काम करता है एसेट परफॉर्मेंस मॉनिटरिंग मॉड्यूल?
एपीएम सिस्टम एसेट परफॉर्मेंस को ट्रैक और मॉनिटर करते हैं। वे एसेट परफॉर्मेंस में सुधार, रखरखाव लागत को कम करने और कोर बिजनेस ऑपरेशन में बेहतर फैसले, विश्लेषण और पहचान करने के लिए रियल टाइम और ऑपरेटिंग डेटा के अलग-अलग सोर्स को जोड़ते हैं। इसके अलावा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML) और एडवांस्ड सिमुलेशन का विश्लेषण करते हैं।