संतोष नेगी/चमोली/ दुनियां भर में सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढावा देने के उदेश्य से विश्व पर्यटन दिवस इस वर्ष ‘‘पर्यटन एवं ग्रामीण विकास’’ की थीम के साथ मनाया जा रहा है। उत्तराखण्ड राज्य का सीमान्त जनपद चमोली प्राकृतिक व नैसर्गिक सुन्दरता के साथ-साथ ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में अपना एक अलग ही स्थान रखता है। अष्टम बैकुण्ड के रूप में प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम के पास स्थित ग्राम माणा, तिब्बती सभ्यता को समेटे हुए सीमान्त गांव नीति, प्रसिद्ध रूपकुण्ड ट्रैक के बेस कैम्प के रूप में वाण जैसे अनगिनत गांव वर्षो से पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करते रहे है। वर्तमान मंे जनपद चमोली में लगभग 350 होम स्टे ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हैं, जो पर्यटको को न केवल आवासित करते है, वरन ग्रामीण जीवन शैली, पहनावा, भेष-भूषा व पहाड़ी व्यंजनों से भी पर्यटको को रूबरू करा रहे है।
चमोली जिला प्रशासन ने पोखरी विकासखंड के जिलासू गांव में ‘‘बाखली’’ होम स्टे की शुरूआत की है, जो वर्तमान में जनपद में एक माडल होम स्टे के रूप में स्थापित है। यह होम स्टे एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना गोपेश्वर के द्वारा प्रायोजित माॅ चण्डिका आजीविका स्वायत्त सहकारिता समूह की महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है। पहाडी शैली में निर्मित यह होम स्टे पर्यटको को ग्रामीण अनुभूति प्रदान करा रहा है। यहाॅ आने वाले पर्यटक जिलासू, लंगासू व इसके आस-पास के क्षेत्रों में होने वाली परम्परागत कृषि से भी रूबरू हो रहे है और स्थानीय उत्पादों की खरीदारी भी कर पा रहे है। होम स्टे में पर्यटको के लिए पहाड़ी व्यंजनों का खास मैन्यू तैयार किया गया है। जिसमें मंडवे की रोटी, चैसा, फांडू, छांछ, बद्री घी, स्थानीय दाल व सब्जियों जैसे पहाड़ी व्यंजनों का शामिल किया गया है। जिलासू में बना ‘बाखली‘ होम स्टे विश्व पर्यटन दिवस 2020 की थीम को पूरी तरह परिलक्षित कर रहा है।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने विश्व पर्यटन दिवस पर पूरे जनपद वासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जिले में पर्यटन की भरपूर सम्भावनाएं है। यहाॅ की कला एवं संस्कृति, प्राकृतिक सौन्दर्य, जैव विविधता, पर्यटक एवं धार्मिक स्थलों की समृद्व विरासत सहज ही पर्यटकों को आकर्षित करती है। उन्होंने पर्यटक स्थलों पर सुविधाओं के विकास पर जोर देते हुए लोगों को होमस्टे योजना का लाभ उठाने को कहा। जिलाधिकारी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में पर्यटन अहम भूमिका निभाता है। राज्य सरकार पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है ताकि पर्यटन को वर्षभर स्थानीय निवासियों के लिए आर्थिक गतिविधियों का स्रोत बनाया जा सके। पर्यटन को बढावा देने के लिये ’13 जिले-13 नए पर्यटन गंतव्य’, के तहत जिले के भराडीसैंण को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है।
जिला पर्यटन विकास अधिकारी बृजेन्द्र पांडे ने कहा कि जनपद चमोली का नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य सदियों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहाॅ पर साहसिक ट्रैकिंग, माउंटेन बाइकिंग, रिवर राफ्टिग, पैराग्लाइडिंग आदि साहसिक गतिविधियों की भरपूर संभावनाएं है। यहां के मठ मंदिर देश व दुनिया के करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र है। धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर होम स्टे एवं पर्यटन सुविधाओं को और अधिक विकसित किया जा रहा है।
श्री बदरीनाथ जी -अलकनन्दा नदी के दाहिने तट पर समुद्र तल से लगभग 3133 मीटर की ऊचाॅई पर नर व नारायण पर्वत की गोद में ‘‘बद्रीवन’’ स्थित श्री बदरीनाथ धाम (काले पत्थर की ध्यान मग्न पद्मासन भगवान विष्णु की मूर्ति) हिन्दुओं के सबसे पुराने तीर्थ स्थलों में भारत वर्ष के मुख्य चार धामों में उत्तर दिशा में अवस्थित प्रमुख एक धाम है। आठवीं सदी में आदि गुरू शंकराचार्य जी द्वारा इस मन्दिर की स्थापना की गई थी। महाभारत तथा पुराणों में इन्हें मुक्तिप्रदा, योगसिद्धा, बदरीवन, बदरिकाश्रम, विशाला, नरनारायणश्रम आदि नामों से सम्बोधित किया गया है। यह अत्यधिक ऊॅचे नीलकण्ठ पर्वत शिखर के मध्य पृष्ठ तट सहित, नर एवं नारायण दो पर्वत श्रेणियों के पाश्र्व में स्थित है।
भविष्य बदरी-इस मन्दिर की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य जी द्वारा की गई है। यहाॅ पर शेर के शीशवाला नरसिंह की मूर्ति स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि भविष्य बदरी कलियुग में विष्णु प्रयाग के समीप पटकिला में जय और विजय पर्वत ढह जायेंगे और बदरीनाथ मन्दिर अगम हो जायेगा। तब भगवान बदरी नारायण यहाॅ विराजमान होंगे। यहाॅ आज भी शेर के शीश वाली नरसिंह की मूर्ति स्थापित है। ग्राम सुभाई, रिंगी में स्थित होम स्टे में रूका जा सकता है।
श्री रूद्रनाथ-इस जनपद में चतुर्थ केदार के रूप में श्री रूद्रनाथ मन्दिर में भगवान शिव के मुख स्वरूप की पूजा की जाती है। जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 03 किमी0 मोटर मार्ग की दूरी पर सगर गांव से 18 कि0मी0 की पैदल दूरी तय करने के बाद यहां पहुंचा जाता है। यहाॅ पर भगवान शिव रौद्र रूप में पूननीय हैं। मन्दिर तीनों ओर से कुण्डों से घिरा है। यहाॅ पर सूर्यकुण्ड, चन्द्रकुण्ड, ताराकुण्ड व मानसकुण्ड है। मन्दिर के पृष्ठ भाग में नन्दादेवी, त्रिशूल और नन्दाघुघंटी जैसी गगनचुम्बी पर्वत शिखर दर्शनीय हैं। ग्राम सगर व मण्डल वैली में पंजीकृत होम स्टे है, जो पर्यटको को आवासीय व भोजन सुविधा उपलब्ध कराते है।
रूपकुण्ड-जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 135 किमी0 की दूरी पर थराली-वाण मोटर मार्ग तथा वाण गाॅव से गैरोलीपातल, बेदनी बुग्याल, पातरनचैनिया, भगुवावासा होते हुए 30 किमी0 की पैदल दूरी तय करके पहुॅचा जाता हैं। वर्तमान में साहसिक पर्यटन ट्रैकर्स द्वारा लोहजंग से दिदिना, आली, बेदनी बुग्याल, पातरनचैनिया, भगुवावासा होते हुए रूपकुण्ड जाते हंै। इस कुण्ड का निर्माण (प्राचीन कथानुसार) शिव-पार्वती ने कैलाश जाते हुए किया था। माॅ पार्वती ने अपने सौन्दर्य का आधा भाग इसी कुण्ड में छोड़ दिया था। जिससे इस कुण्ड का नाम रूपकुण्ड पड़ा। यहाॅ से त्रिशूली और नन्दाघुंघटी पर्वत श्रृंखलाएं दिखाई देती हंै। ग्राम लोहाजंग, कुलिंग, दिदिना व वाण में पंजीकृत होम स्टे उपलब्ध है।
लार्ड कर्जन ट्रेल-जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 110 किमी0 की दूरी ग्वालदम स्थित है, यहाॅ से लार्ड कर्जन ट्रेल अत्यन्त सुन्दर पहाड़ी रास्तांे वाला ट्रैक है, जो ग्वालदम से वाण 35 किमी0, वाण से कनोल 12 किमी0, कनोल से सुतोल 12 किमी0, सुतोल से रामणी 09 किमी0 का ट्रैक हैं। यहाॅ से क्वारी पास होते हुए पर्यटक तपोवन अथवा औली पहुॅचते हैं। इस विश्व प्रसिद्ध ट्रेल के विभिन्न पड़ावों जैसे कि ग्वालदम, कनोल, सुतोल, रामणी, करछो इत्यादि ग्रामों में होम स्टे की भी सुविधा उपलब्ध है।
बेनीताल- जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 70 किमी0 की दूरी पर कर्णप्रयाग-गैरसैंण मोटर मार्ग पर स्थित है। जहाॅं पर्यटकों की आवाजाही कम होने के कारण यह बुग्याल आज भी अपने पूरे सौन्दर्य से भरपूर है। यह झील नौकायन की दृष्टि से उपयुक्त नहीं है, लेकिन पर्वतों के मध्य अवस्थित इस झील का सौन्दर्य यहाॅं रूके रहने के लिये विवश कर देती है। कभी ब्रिटिश काल में गढ़वाल क्षेत्र की सबसे बड़ी टी एस्टेट यहीं हुआ करती थी।
नीती-मलारी-नीती-मलारी प्राकृतिक सुन्दरता का, सुन्दर नजारा यहाॅ देखा जाता है। नीती-मलारी इस पड़ाव के अन्तिम गाॅव हैं। यहाॅ शान्त वादियाॅ हैं जो जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 135 किमी0 तथा जोशीमठ से 63 किमी0 जोशीमठ-नीति मोटर मार्ग पर स्थित है। यह क्षेत्र माउण्टेन बाईकिंग के साथ कामेट, नन्दादेवी, द्रोणागिरी पर्वत श्रृखलाओं के पर्वतारोहण के लिए विश्व विख्यात है। ग्राम बाम्पा में पंजीकृत होम स्टे उपलब्ध है।