निकिता सिंह: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां के हालात बिगड़ते जा रहे हैं, महिलाओं को लेकर तालिबान काफी सख्त है और रोजाना नए फरमान जारी कर रहा है. जिसके चलते महिलाओं को देश छोड़कर भागना पड़ रहा है तालिबान के अत्याचार से बचने के लिए हज़ारों अन्य लोगों के तरह भाग कर आई कार्यकर्त्ता हुमैरा रियाजी ने वहां के खौफनाक और सदमे वाले माहौल के बारे में कहा “वे महिलाओं को इंसान नहीं समझते हैं”. साथ ही उन्होंने ने बताया की कैसे महिलाओं को मौत के घाट उतारा जाता था, उनकी पिटाई की जाती थी जब तालिबान पिछली बार सत्ता में आया था.
रियाजी और अफगान सांसद शिनकाई करोखैल जैसी महिलाओं के लिए पिछले महीने देश पर इस्लामिक मिलिशिया का कब्जा किसी डरावने सपने की वापसी की तरह है. इंडियन वोमेंस प्रेस कोर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में महिला पत्रकारों से बात करते हुए कारोखैल ने उस दर्द को बयां किया जिसमें अफगान महिलाएं तालिबान के दोबारा कब्जे के बाद से गुजर रही हैं. कारोखैल ने बताया कि तालिबान उन महिला कार्यकर्ताओं और नेत्रियों के घर गया जो कई देशों द्वारा वीजा नहीं दिए जाने की वजह से अफगानिस्तान छोड़ नहीं सकी। उन्हें धमकाया गया और अब उनके पास विकल्प है कि या तो देश छोड़ दें या चुप रहे।
उन्होंने ये भी कहा की बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ता और नेत्री अफगानिस्तान में फंसी हैं और निरंतर अपना ठिकाना बदल रही हैं, क्योंकि तालिबानी उनके घरों में घुस कर तलाशी ले रहे हैं. तालिबान ने उनके सुरक्षाकर्मियों से हथियार ले लिए हैं उनके घर भी तालिबान के कब्जे में हैं. तालिबान इसी तरह से महिलाओं को डराना चाहते हैं ताकि वह देश छोड़ दें या बिना कोई आवाज़ उठाये चुप रहें। वहीं अफगान के पत्रकार ने कहा की वहां महिलाओं को जानवर समझा जाता है और तालिबानियों ने तो महिलाओं को मनोरंजन का साधन समझ रखा है. उन्होंने बताया की उनकी एक सहयोगी की महिलाओं का प्रदर्शन को कवर करने के लिए पीटा गया.