गोंडा में तालाब और नजूल की जमीनों पर कब्जा करना कोई नया नहीं है, सत्ता के नेताओं और अधिकारियों से सांठ गांठ कर यह काम धडल्ले से हो रहा है। ताजा मामला गोंडा के AIMS इंटरनेशनल स्कूल का है यहां तालाब की जमीन पर ही पूरी स्कूल की बिल्डिंग खड़ी कर दी गई। तालाब की जमीन को लेकर विवाद 2008 से चल रहा है। स्कूल के मालिक मतलूब हुसैन खान ने तत्तकालीन राजस्व कर्मचारियों , अधिकारियों व नेताओं से सांठगांठ व षड्यंत्र कर तालाब की लगभग 7200 वर्गफुट जमीन पर स्कूल का निर्माण करा लिया। धीरे धीरे यह स्कूल दो मंजिला भी हो गया। 2008 में ही अवैध कब्जे को लेकर शिकायत गोण्डा प्रशासन को की गई थी। लेकिन दबाब के कारण कोई कार्रवाई प्रशासन ने नही की। जो शिकायत हुई थी उस पर तत्कालीन अधिकारियों द्वारा जांच का खेल खेला गया गया।
2008 में हुए जांच में भी बात सामने आई थी कि सरकारी तालाब की भूमि पर ही स्कूल खड़ा कर लिया गया है। जिसकी जानकारी जांच कर रहे राजस्व निरीक्षक ने 19 फरवरी 2008 को रिपोर्ट भेजकर दी। रिपोर्ट के आधार पर शिकायकर्ता ने तहसीलदार के न्यायालय में वाद शुरू कराया। करीब 13 साल बाद मामले में मौजूदा तहसीलदार डॉ पुष्कर मिश्रा ने 24 सितंबर 2021 को तालाब की भूमि पर कब्जा हटाने के साथ ही जुर्माने का आदेश दिया है।
अब इस मामले में तहसीलदार ने तालाब की भूमि से स्कूल को हटाने के आदेश के साथ स्कूल प्रबंधन पर दो लाख 86 हजार का जुर्माना भी लगाया है। मामले में आदेश के बाद भी कार्रवाई न होने पर एसडीएम सदर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सूरज पटेल जांच कर रहे हैं। जांच में पता चला कि साजिश के तहत पहले तालाब की जमीन के एक अंश का दीनानाथ नामक व्यक्ति को पट्टा करा दिया गया जिसमें पट्टाधारक ने धारा 61 के तहत इस आधार पर पट्टा कराया कि इतने ही अंश का तालाब बनाकर वह ग्रामसभा को दे देगा। भूमि परिवर्तन होने के बाद आबादी घोषित कराया गया और फिर मतलूब हुसैन ने भूमि का बैनामा ले लिया।
बैनामा के बाद भूमि पर एम्स इंटर नेशनल कालेज का निर्माण करा लिया। स्कूल निर्माण के बाद मतलूब हुसैन खान ने शेष तालाब की भूमि को भी बाउंड्रीवाल से घेर कर अंदर कर लिया और वहां पर भी दो मंजिला स्कूल भवन का निर्माण करा लिया।