नितिन उपाध्याय/रवि..आगामी लोकसभा चुनाव 2019 की नजदीकी आहट को देखते हुए मोदी के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्ष में कांग्रेस पार्टी को लेकर दरार के आसार बनते नजर आ रहे है।यूपी के पूर्व सीएम और सपा के अध्यक्ष महागठबंधन में कांग्रेस को साथ लेकर चुनाव लड़ने के इच्छुक नजर नहीं आ रहे है।अखिलेश के करीबी सूत्रों की माने तो अगले साल होने वाले आम चुनाव में महागठबंधन कांग्रेस को केवल दो सीटें रायबरेली और अमेठी ही देना चाहता है।इस बारे में अखिलेश यादव दूसरे दलों के साथ चर्चा करने के लिए कल मंगलवार को दिल्ली आ रहे है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सपा पार्टी यूपी की 80 सीटों में से कांग्रेस को केवल दो सीट ही देना चाहती है इसके लिए वह कांग्रेस को प्रस्ताव भेजने की तैयारी में जुट गयी है।सूत्र बताते है कि सपा पार्टी होने वाले आम चुनाव में यूपी में त्रिकोणीय मुकाबला चाहती है।कल दिल्ली आ रहे अखिलेश यादव इस बारे में दूसरे दलों के साथ चर्चा करेंगे इसके लिए अखिलेश यादव दिल्ली में करीब 3 दिन तक रूकेंगे और बाद में परिवार के साथ छुट्टियां मनाने विदेश चले जाएंगे।आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अखिलेश यादव की दिल्ली में दूसरे दलों के साथ यह चर्चा काफी अहम मानी जा रही है।
कयासों का दौर शुरू
गौरतलब है कि 2 साल बाद कांग्रेस की तरफ से दी गयी रोजा इफ्तार पार्टी में सपा पार्टी का कोई भी नुमाइंदा नहीं आया था।हालांकि बाद में यह खबर भी सामने आ रही थी कि सपा और कांग्रेस में दरार आ गयी है। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद सपा ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था लिहाजा लोकसभा चुनाव में सपा पार्टी कांग्रेस को ज्यादा भाव देने के मूड़ में नजर नहीं आ रही है।एक प्रश्न यह भी बनता है कि सपा पार्टी कहीं बसपा सुप्रीमों माया के दबाव में टिकट बटवारे को लेकर ऐसा तो नहीं कर रही है।ऐसा इसलिए भी लग रहा है क्योंकि सपा पार्टी माया को ज्यादा टिकट देने के मूड़ में पहले ही नजर आ चुकी है।कयास तो यह भी लगाए जा रहे है कि सपा को बसपा और कांग्रेस पार्टी की करीबी शायद रास नहीं आ रही है।इसलिए ऐसी राजनीतिक उठापटक देखने को मिल रही है। वहीं यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में योगी मोदी लहर में बुरी तरह सपा बसपा ने परास्त होकर यूपी उपचुनाव में एक के बाद एक भाजपा के दिग्गजों की सीट निकालकर संजीवनी बूटी पायी है। इसलिए सपा पार्टी 2019 के आमचुनाव में कांग्रेस को तो छोड़ सकती है लेकिन बसपा को अपनी मझधार का माझी बनाने के मूड़ में साफ नजर आ रही है इसलिए वह मंच की माया कही जाने वाली बसपा सुप्रीमों मायावती को यूपी की 80 सीटों में से करीब 55 सीट देकर जूनियर की पार्टनर की भूमिका में भी नजर आ रही है।