तृप्ति रावत/ अलवर मॉब लिंचिंग मामले में नया मोड़ सामने आया है। रखबर खान के साथी असलम ने बताया है कि रकबर को मारने वाले खुद को विधायक का आदमी बता रहें थे। हालांकि असलम जो दावा कर रहा है वो विधायक ज्ञानदेव अहूजा खुद भी कबूल चुके हैं। स्थानीय विधायक अहूजा ने कहा था कि हमारे कार्यकर्ताओं ने रकबर की थोड़ी बहुत पिटाई की थी। उसके बाद पुलिस ने भी पिटाई की। बता दें कि ये वही विधायक है जो 2017 में पहलू खान की हत्या के बाद कहा था कि जो गो-तस्करी करेगा, वो मरेगा।
हालांकि 4 पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और जांच भी जिला पुलिस वालों के हाथ से ले ली गई है। इस बीच रकबर की आखिरी तस्वीर सामने आई है। जिसमें वो पुलिस की गाड़ी में भी जिंदा था। वहीं अलवर की मॉब लिंचिंग ने फिर देश की राजनीति में तूफ़ान पैदा कर दिया है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इस बीच सरकार ने भीड़ की हिंसा को लेकर एक हाई-लेवेल कमेटी बनी दी है।
पुलिस पर आरोप है कि उसने करीब 1 बजे रकबर को हिरासत में लेने के बाद चार किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचने में तीन घंटे लगाए। यानि पुलिस करीब चार बजे अस्पताल पहुंची। तब तक अकबर की मौत हो चुकी थी। यह भी दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने घायल रकबर को अस्पताल ले जाने की बजाय थाने लेकर गई।
थाने ले जाने से पहले धूल से सने अकबर का शरीर साफ किया गया। पुलिस ने थाना से अस्पताल ले जाते समय संवेदनशीलता को ताक पर रखकर चाय भी पी। जहां पर पुलिस वालों ने चाय पी उस चायवाले के मुताबिक रात करीब 1 बजे दुकान खोली थी और चार पुलिसकर्मी दुकान पर आए और चाय मांगे लेकिन समय याद नहीं है कि कितने बजे आए होंगे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित की मौत तड़के 3.40 बजे हो चुकी थी। इस घटना की देशभर में आलोचना हो रही है। अब मेव समाज ने मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की है। इस संबंध में मेव समाज के लोग आज अलवर में कलेक्टर से मिलकर उन्हें ज्ञापन देंगे।