संतोष नेगी। उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने प्रदेश के युवाओ का नशे की गर्त में जाने के खिलाफ दायर रामनगर नैनीताल निवासी स्वेता मासीवाल की जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए प्रदेश के युवाओ को नशे की गर्त से उबारने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने सरकार को निम्न आदेश दिए है :-
- केंद्रीय ओषधि नियंत्रक बोर्ड द्वारा प्रतिबन्धित सभी 434 दवाओ की बिक्री पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है और जिस किसी मेडिकल स्टोर में ये दवाईया उपलब्ध है उनको पुलिस की मदद से या तो नस्ट करें या वापस कम्पनी को करें।
2.खण्डपीठ ने नशे को रोकने के लिए सभी शिक्षण संस्थानो ,निजी संस्थानो और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर ड्रग्स कण्ट्रोल क्लब खोलने के आदेश दिए है जिसके अध्यक्ष निदेशक उच्च शिक्षा होंगे और नोडल अधिकारी निदेशक विद्यालयी शिक्षा होंगे।
- खण्डपीठ ने किशोर न्याय अधिनियम की धरा 77 जे जे को बिस्तार करते हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रतिबन्धित दवाइया ,मादक पदार्थ और ऐसे अन्य कोई चीज जिससे नशा होने की आसंका हो की बिक्री पर रोक लगा दी है।।
- खण्डपीठ ने यह भी निर्देश दिए है कि जेलो से कैदियों को लाते व ले जाते वक्त नारकोटिक्स की जाँच की जाय।
- राज्य व जनदपो की सीमाओ पर ड्रग्स की जाँच करने के लिए सरकार 3 सप्ताह में स्पेशल टीम गठित करे।।
6.प्रदेश के प्रत्येक जिले नशा मुक्ति केंद्र खोलने के आदेश दिए है ।।
- खण्डपीठ ने सरकार को निर्देश दिए है कि वह चार सप्ताह के भीतर ड्रग्स नारकोटिक्स स्क्वाड गठन करे। मामले के अनुसार याचिकर्ता ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश के युवा वर्ग दीन प्रति दिन नशे की गिरफ्त में डूब रहे है लिहाजा नशे के कारोबारियों पर रोक लगाई जाय। पूर्व में निवर्तमान मुख्य न्यायधीश केएम जोसफ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्रदेश का युवा वर्ग नशे की गर्त में डूब रहा है प्रदेश सरकार और पुलिस नशा रोकने में नाकाम हो रही है । पूर्व में एसएसपी एसटीएफ नारकोटिक्स एंड ड्रग्स कण्ट्रोल और क्षेत्रीय निदेशक कोर्ट में पेश हुए थे उन्होंने नशे को रोकने के लिए स्टाफ की कमी का हवाला दिया था। जो भी थोडा बहुत इसको रोकने के लिए कार्यवाही की जाती है वह भी इलेक्ट्रानिक डीबाईस और एसएसबी की मदद से । खण्डपीठ ने उनसे यह भी पूछा था कि नशा का धंधा कहा से चलता है और बड़े कारोबारियों को पकड़ने के लिए वे क्या कदम उठाते है इसके जवाब में एसएसपी एसटीएफ ने खण्डपीठ को जवाब दिया था कि।नशा का कारोबार उत्तराखण्ड से बाहर के राज्यो से होता है । खण्डपीठ ने इस मामले को महत्व्पूर्ण मानते हुए पूर्व में ही सभी 27 विश्वविद्यालयो ,सभी एसएसपी और सभी जिला अधिकारियों को पक्षकार बनवाया था।
प्रमुख दवाइया पेरासिटामोल सिट्राजिन , टेराफिनाडीन, डिकोल्ड टोटल, सेराडॉन,फिंसाडीन,डोवर्स पावडर, डाईक्लोफेन्स पेरासिटामोल डोवोर्स टेबलेट कोम्बिफ्लेम सहित अन्य महत्व्पूर्ण दवाइयो हैं