नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के पहले दौर की वोटिंग से 9 दिन पहले आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने घोषणापत्र जारी कर दिया है। अपने घोषणापत्र को जन आवाज नाम दिया गया है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मैनिफेस्टो जारी करते हुे कहा कि “हमारा निशान पंजा है और घोषणापत्र में हम पांच बड़े वादे कर रहे हैं। विश्वास कीजिए, जिस तरह हमने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में वादे के मुताबिक 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ किया, ठीक इसी प्रकार ये वादे भी पूरा करेंगे। मैं झूठे वादे नहीं करता।”कांग्रेस ने मैनिफेस्टो में 5 प्रमुख वादे किए गए हैं जिसमें किसानों के लिए अलग बजट लाने का वादा भी है। इसके साथ ही कृषि लोन के डिफॉल्टरों पर फौजदारी (क्रिमिनल) मामला दर्ज नहीं दर्ज करने का भी वादा है। राहुल ने ‘गरीबी पर वार, 72 हजार’ का नारा भी दिया। कांग्रेस ने धारा 124 (ए) को खत्म करने का भी वादा किया है। उधर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देशद्रोह की धारा खत्म करने का कांग्रेस का वादा देश की एकता के लिए खतरा है।
जेटली ने कहा- क्या कांग्रेस के लिए देशद्रोह जुर्म नहीं है? इस पार्टी के वादे देश की एकता के लिए खतरा हैं। जिन आतंकियों को सेना रोज मारती है, वो बच निकलें? वो लोग हमसे बात करने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि वे अलग होने की बात करते हैं। और, ये लोग (कांग्रेस) उनसे लगातार बात करना चाहते हैं। कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में खतरनाक एजेंडा लागू करना चाहती है। कांग्रेस आफस्पा हटाना चाहती है, वह माओवादियों के चंगुल में है। इस पार्टी ने देश को तोड़ने वाले वादे किए।
1. न्याय
पहली थीम न्याय की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 लाख रुपए अकाउंट में डालेंगे। वो झूठ था। हमने उनकी बात पकड़ी और मैनिफेस्टो कमेटी से पूछा कि हिंदुस्तान की जनता के अकाउंट में कांग्रेस कितना पैसा डाल सकती है। उन्होंने मुझे 72 हजार नंबर दिया। गरीबी पर वार 72 हजार। एक साल में 72 हजार कांग्रेस पार्टी गरीबों के अकाउंट में सीधा डालेगी। एक साल में 72 हजार और पांच साल में 3 लाख 60 हजार। मोदीजी ने नोटबंदी और जीएसटी से जो अर्थव्यवस्था जाम की है, उसे हम वापस पटरी पर लाएंगे।
2. रोजगार
दूसरा- चिदंबरम जी ने कहा कि दो बड़े मुद्दे हैं रोजगार और किसान। 22 लाख सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हैं। उन्हें कांग्रेस पार्टी मार्च 2020 तक भर देगी। 10 लाख युवाओं को ग्राम पंचायत में कांग्रेस नौकरी देगी। मेक इन इंडिया की दुनिया में आप बिजनेस खोलना चाहते हैं। तीन साल के लिए युवाओं को बिजनेस के लिए कोई परमिशन नहीं लेनी होगी। आप लोगों को रोजगार देंगे। कांग्रेस इसके लिए दरवाजे खोलेगी।
3. किसान
हम मनरेगा में रोजगार के 150 दिन पक्के करना चाहते हैं। हमारे हिसाब से किसानों का एक अलग बजट होना चाहिए। किसानों को मालूम होना चाहिए कि उनके लिए कितना बजट दिया जाएगा और उन्हें कितना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा।
नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोग लोगों का पैसा लेकर भाग जाते हैं। किसान अगर बैंकों का पैसा नहीं दे पाते तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। हमने फैसला किया है कि अगर किसान पैसा न लौटा पाए तो वो क्रिमिनल ऑफेंस नहीं सिविल ऑफेंस हो।
4. शिक्षा
शिक्षा के क्षेत्र में हमने निर्णय लिया है कि जीडीपी का 6% पैसा देश की शिक्षा में दिया जाए। आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों को हम सबकी पहुंच में बनाना चाहते हैं। मोदी सरकार ने उसे हमेशा कम किया है।
5. हेल्थ सेक्टर
हेल्थ सेक्टर में मोदी सरकार एक योजना लाई है। इंश्योरेंस का पैसा प्राइवेट अस्पतालों की जेब में डाले जाएं। हम सरकारी व्यवस्थाओं को मजबूत करने का काम करेंगे। हम तय करेंगे कि गरीबों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं मिलें।
देशद्रोह की धारा 124-ए खत्म की जाएगी
कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र के 30वें बिंदु में कानून नियमों से जुड़े वादों में देशद्रोह से जुड़ी धारा का भी जिक्र किया। घोषणा-पत्र कहता है, ‘‘भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (जो कि देशद्रोह के अपराध को परिभाषित करती है) जिसका दुरुपयोग हुआ और बाद में नए कानून बन जाने से उसकी महत्ता भी समाप्त हो गई है, उसे खत्म किया जाएगा।’’
- वकील प्रमोद सक्सेना के मुताबिक, अगर ऐसा होता है तो देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वालों के खिलाफ कार्रवाई मुश्किल होगी। हालांकि, धारा बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के दरवाजे हमेशा खुले रखेंगे। संविधान की प्रस्तावना में लिखा है कि हम भारत के लोग देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्य रखेंगे। लेकिन यह तभी संभव है जब देश विरोधी गतिविधियां न हों। कम्युनिस्ट पार्टी 124-ए को हटाने की मांग लंबे वक्त से कर रही है।
‘राफेल डील की जांच होगी’
इस बीच घोषणापत्र समिति के सदस्य बालचंद्र मुंगेकर ने कहा, “कांग्रेस के सत्ता में आने पर पहले ही दिन राफेल डील पर जांच बैठाई जाएगी। इसे भी मैनिफेस्टो में शामिल किया गया है।”
चिदंबरम की अध्यक्षता में बनी थी कमेटी
घोषणापत्र तैयार करने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। इस बार सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है। मोदी सरकार के कार्यकाल में 4 करोड़ 70 लाख लोगों की नौकरियां गईं। घोषणापत्र तैयार करने के लिए पूरे देश से 1 लाख 60 हजार सुझाव आए।
घोषणापत्र समिति के संयोजक राजीव गौड़ा ने बताया कि घोषणापत्र बनाने के लिए हमने 20 सबकमेटी बनाईं। हमने 24 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की 60 लोकेशन कवर कीं। हमने एनआरआई से भी संपर्क किया। 12 देशों के एनआरआई से सलाह ली। कुल 121 पब्लिक कंसल्टेशन ली गईं।