केजरीवाल के लिए इससे शर्म की बात और क्या हो सकती है कि दिल्ली को स्वस्थ रखने वाली आशा वर्कर्स अपने अधिकारों के लिए आज सड़कों पर हैं-आदेश गुप्ता
जब तक केजरीवाल आशा वर्कर्स का भुगतान नहीं कर देते तब तक कोई विधानसभा सत्र नहीं चलेगा-रामवीर सिंह बिधूड़ी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि राजधानी दिल्ली के लिए इससे दुख की बात और क्या हो सकती है कि अपने अधिकारों की मांग को लेकर दिल्ली को स्वस्थ रखने वाली आशा वर्कर्स आज सड़कों पर हैं। अपने इंसेंटिव और प्रोत्साहन कोश की बढ़ोत्तरी के लिए मुख्यमंत्री आवास के बाहर आशा वर्कर्स के विरोध प्रदर्शन को प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता और नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने सम्बोधित किया।
श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में साल 2018 में केन्द्र सरकार द्वारा आशा वर्कर्स को दिए गए भुगतान राशि को भी केजरीवाल सरकार ने वितरित नहीं किया क्योंकि दिल्ली सरकार ने यह राशि उठाई ही नहीं ताकि आशा वर्कर्स को हटाकर केजरीवाल अपने लोगों की भर्ती कर सके। यही कारण है कि साल 2018 से लेकर अभी तक दिल्ली के आशा वर्कर्स के प्रोत्साहन राशि में कोई इजाफा नहीं किया गया है। केन्द्र सरकार ने 10,000 रुपये और 1000 हज़ार रुपये मानदेय के रूप में इन आशा वर्कर्स को दिया है लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक वो पैसा नहीं दिया।
श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि जो आशा वर्कर्स अपने घर परिवार छोड़ दूसरे के घर का, स्वच्छता अभियान सहित टीकाकरण इत्यादि जैसे कार्यों का देखभाल करती हैं अगर उनके प्रोत्साहन में बढ़ावा नहीं मिल रहा है तो दिल्ली सरकार को इसपर शर्म आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री दूसरे राज्यों में जाकर बेरोजगारी भत्ते की बात करते हैं लेकिन अपने राज्य के आशा वर्कर्स पर उनका कोई ध्यान नहीं है।
श्री गुप्ता ने मोहल्ला क्लीनिक की सच्चाई का आईना मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिखाते हुए कहा कि आज दिल्ली सरकार द्वारा चलाये जा रहे मोहल्ला क्लीनिक की स्थिति बदतर क्यों हो गई है क्योंकि इसके पीछे एक बड़ी साजिश के तहत भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टरो को हर 6 महीने एक मोटी रकम देनी पड़ती है। उन्होंने आशा वर्कर्स को भरोसा दिलाया कि आपके संघर्ष के अंजाम तक भाजपा आपके साथ रहेगी।
नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार बड़े-बड़े चुनावी वादे दूसरे राज्यों में कर रही है लेकिन दिल्ली के आशा वर्कर्स पर कोई ध्यान नहीं है। इसलिए उनसे गुजारिश है कि वह आशा वर्कर्स की न्यूनतम 19000 रुपये मानदेय की व्यवस्था करें और जब तक आशा वर्कर के भुगतान नहीं हो जाते तब तक कोई विधानसभा सत्र नहीं चलने देंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जब महामारी अपनी चरम पर थी उस समय घर-घर जाकर पल्स रेट जांचना, तापमान जांच करना, दवाइयां पहुंचाना, रिपोर्ट लेना इत्यादि यह सारे काम आशा वर्कर करती थी ना कि डॉक्टर।
श्री बिधूड़ी ने कहा कि महामारी के दौरान कोरोना योद्धा बनकर लड़ने वाली आशा वर्कर के लिए हमने आवाज भी उठाई थी कि अगर काम करते वक़्त आशा वर्कर की मृत्यु हो जाती है तो इन्हें भी कोरोना योद्धा के तहत एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जानी चाहिए लेकिन केजरीवाल सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर्स में से अधिकतर गरीब मजदूर परिवार से हैं उनके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कोरोना महामारी में कई तरह की सहायता प्रदान किये गए चाहे वह मुफ्त 8 किलो गेहूं और 2 किलो चावल हो, या फिर 3 महीनों तक मुफ्त गैस हो, पर दिल्ली सरकार ने उन योजनाओं को अपनी राजनीतिक मद में चूर होकर लोगों तक नहीं पहुँचने दिया। इस विरोध प्रदर्शन में संरक्षक श्री राजन तिवारी एवं श्रीमती सुनीता कांगड़ा, सह-संरक्षक श्रीमती कविता पाटवा, अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा शर्मा, महासचिव श्रीमती राजबाला सहित अन्य आशा वर्कर्स मौजूद रही।