लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने टिकट वितरण का फॉर्मूला तय कर लिया है। नये फॉर्मूले के तहत पार्टी की कसौटी पर खरे नहीं उतरने वाले करीब 150 उम्मीदवारों के टिकट कटना तय है। इनमें 2017 में जीते और हारे उम्मीदवार भी शामिल हैं। इनकी जगह नये और सक्रिय चेहरों को मौका दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, टिकट वितरण का जो नया फॉर्मूला सेट किया गया है, उसके मुताबिक ऐसे कई विधायकों के टिकट कट जाएंगे जो साढ़े चार वर्षों के दौरान पार्टी की गतिविधियों और अपने क्षेत्र में निष्क्रिय रहे हैं या फिर अनर्गल बयानबाजी से सरकार व संगठन को कटघरे में खड़ा किया है। इसके अलावा 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके व विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारी से जूझ रहे विधायकों पर टिकट कटना तय माना जा रहा है।
नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी का आलाकमान का मानना है कि जिन विधायकों से स्थानीय जनता, कार्यकर्ता और संगठन के पदाधिकारी नाराज हैं। फीडबैक भी उनके खिलाफ है, उनकी जगह नये चेहरों को मौका देना पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा। इसके 2017 में बीजेपी के टिकट पर लड़े उन हारे प्रत्याशियों के टिकट भी काटे जा सकते हैं, जिनकी हार का अंतर ज्यादा है।
एक विधानसभा से संसदीय बोर्ड को जाएंगे तीन नाम बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा आलाकमान की ओर से जिला संगठन से एक-एक विधानसभा सीट के लिए तीन-तीन संभावित प्रत्याशियों की सूची पूरी डिटेल के साथ मांगी जा रही है। वहीं, क्षेत्रीय टीमों से भी तीन-तीन नाम भेजने को कहा है। जिलों से आने वाली लिस्ट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान, भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और महामंत्री संगठन सुनील बंसल की कमेटी तीन-तीन नामों का पैनल तैयार कर संसदीय बोर्ड को भेजेगी।