अयोध्या : कानपुर से चलकर आये लगभग 50 लोगो ने हनुमानगढ़ी में सौंपा ज्ञापन पत्र
बिस्मिल्लाह खान
रामनगरी अयोध्या पहुंचे अखिल भारतीय पीड़ित अभिभावक महासंघ ,फलक एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं मायरा फाउंडेशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में अभिभावकों के संघ ने कानपुर से चलकर आये लगभग 50 लोगो ने अयोध्या हनुमानगढ़ी में हनुमान जी को ज्ञापन पत्र सौंपा है। हनुमानगढ़ी में अभिभावक संघ ने निजी विद्यालयों की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की।
अखिल भारतीय पीड़ित अभिभावक संघ के अध्यक्ष राकेश मिश्रा ने बताया गया कि निजी विद्यालय कर चोरी व विभिन्न रियायतें सरकारों से प्राप्त करने के उद्देश्य से विद्यालय का गठन ट्रस्ट सोसायटी एक्ट में कराते हैं जबकि विद्यालयों का गठन लिमिटेड कम्पनी, प्राइवेट लिमिटेड, एलएलपी व और अन्य कई माध्यमों से भी किया जा सकता है। उ0प्र0 स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2018 की धारा-8 द्वारा प्रत्येक मण्डल में मण्डलायुक्त के स्थान पर जनपदवार राज्य की प्रत्येक जिले में जिला शुल्क नियामक समिति का गठन किया गया है। जिसके अध्यक्ष सम्बन्धित जिले के जिला मजिस्ट्रेट होंते है।
जिला अधिकारी के अनुमोदन उपरांत ही निजी विद्यालय फीस वृद्धि कर सकते हैं ऐसे में प्रश्न यह है कि जब जिला अधिकारी के हस्ताक्षर से फीस वृद्धि हो सकती है तो फीस कम क्यों नहीं हुई। इस पर मिश्र का कहना है कि जिलाधिकारियो को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है।कोरोना वैश्विक महामारी में राष्ट्रीयआपदा प्रबंधन लागू था सरकार को प्रदेश स्तर पर स्वयं निजी विद्यालयों से संतुलित फीस का अध्यादेश ला करके,कम करा सकती है। अभिभावकों की व्यथा को ब्रह्मांड के अभिभावक हनुमान जी को बताया गया कि निजी विद्यालय कोरोना काउंट में सरकार से मिलीभगत करके पालकों को ऑनलाइन क्लास के नाम पर लूट रहे हैं और जो पालक अपने बच्चों की फीस देने में असमर्थ है उन्हें शासनादेश में वर्णित प्रावधानों के विपरीत उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं से बाधित कर रहे हैं।
आरटीई एक्ट के तहत शासन द्वारा जिन अलाभित्त एवं दुर्बल वर्ग के बालकों का चयन किया गया था, निजी विद्यालयों ने उन बच्चों को प्रवेश नहीं दिया इसकी शिकायत जब प्रशासन व सक्षम कार्यालय से की गई तो सक्षम कार्यालयों ने कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की। जिससे अभिभावकों के पास मात्र तीन रास्ते बचे, एक रास्ता अभिभावकों के लिए सरयू नदी में जल समाधि की ओर ले जाता है,दूसरा रास्ता न्यायालय की ओर जाता है और तीसरा रास्ता हनुमान जी की ओर आता है। आज उसी कड़ी में हनुमान जी को ज्ञापन सौंप रहे हैं। हनुमान जी जोकि सबके अभिभावक हैं ऐसे में मेरा पूर्ण विश्वास है कि जब हमारी किसी ने नहीं सुनी तो हनुमान जी हमारी अवश्य सुनेंगे।