पीपीगंज/गोरखपुर
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि बढ़ती आबादी और घटते रोजगार में बैकयार्ड मुर्गी पालन बन सकता है लाभदायक व्यसाय आजकल बेरोजगार युवक कृषि व्यवसाय को तेजी से अपना रहे हैं इनका प्रमुख कारण इन से होने वाले अतिरिक्त लाभ से है किसान इन व्यवसायों को अपना लेते हैं लेकिन उस व्यवसाय के बारे में उचित जानकारी के अभाव में सही मुनाफा नहीं उठा पाते हैं । लघु, सीमांत एवं भूमिहीन किसानों के लिए बैकयार्ड मुर्गी पालन एक बहुत ही लाभकारी व्यवसाय सिद्ध हो सकता है। बैकयार्ड मुर्गी पालन में मुर्गियों को आंगन या घर के पिछवाड़े में पड़ी खाली जगह में आसानी से पाला जा सकता है। बैकयार्ड मुर्गी पालन में किसान देसी मुर्गीयो का चयन कर अपनी आय को बढ़ा सकता है। यह मुर्गियां आहार के रूप में हरे चारे एवं घर से बचे फल सब्जियों के छिलके अनाज, खरपतवार के बीच दाने एवं कीड़े मकोड़ों इत्यादि को खाकर अपना जीवन यापन कर ले लेती हैं। लेकिन अधिक उत्पादन हेतु इनको कुछ अतिरिक्त आहार की भी आवश्यकता होती है इसलिए उनको मक्का, बाजरा, चावल खली, कैल्शियम इत्यादि भी देना चाहिए । एक देसी मुर्गी की खुराक 100 से 120 ग्राम अनाज प्रतिदिन होती है।
कैसे करें शुरुआत
किसान 20 से 30 देसी मुर्गियों से इस व्यवसाय को शुरू कर सकता है। इन मुर्गियों के 1 दिन के चूजों की कीमत लगभग 30 से 60 रुपये तक हो सकती है। देसी मुर्गियों में अंडे सेने का गुण होता है जिसका लाभ यह होता है कि किसानों को बार-बार चूजे खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती है । देसी मुर्गी साल में 160 से 180 अंडे देती हैं जिनका बाजार में मूल्य अधिक होता है। सर्दियों में तो इनका मूल्य 30 रुपये तक हो जाता है।
बैकयार्ड मुर्गी पालन के लाभ
●लघु सीमांत एवं भूमिहीन किसानों जिनके पास बजट कम होता है वह आसानी से कम लागत लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं
●पोषक तत्वों से भरपूर अंडा प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है जो घर-परिवार पोषण स्तर में भी सुधार करता है
●रसोई से निकले हुए अवशिष्ट पदार्थ जिन्हें फेंक दिया जाता है बैकयार्ड मुर्गी पालन में इसका उपयोग किया जा सकता है
● घर के आस-पास पड़े खाली स्थानों का सदुपयोग होता है और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरी करने में योगदान देता है
● देसी मुर्गा का बाजार मूल्य और मांग अधिक होता है