संतोषसिंह नेगी/चमोली । बद्रीनाथ मंदिर मुख्य सिंह द्वार को फूल मालाओं से भव्य रूप से सजाया गया था। सुबह साढ़े तीन बजे बदरीनाथ के दक्षिण द्वार (लक्ष्मी द्वार) से भगवान कुबेर की डोली के साथ बामणी गांव के वृतिदारों ने परिक्रमा परिसर में प्रवेश किया। इसके बाद गेट से रावल और डिमरी पुजारी ने भगवान उद्धव के साथ परिक्रमा में प्रवेश किया। तदोपरांत मुख्य द्वार पर रावल और धर्माधिकारी, वेदपाठी के द्वारा पूजन किया गया। पूजन के बाद 4.15 बजे भगवान बद्रीविशाल के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गए।कपाट खुलने के साथ ही भगवान बद्रीविशाल की पंचायत में खजांची कुबेर भंडारी और भगवान उद्धव जी विराजमान हुए।
अगले छह माह भगवान बद्रीविशाल के साथ कुबेर व उद्धव पूजे जाएंगे। साथ ही लक्ष्मी जी मुख्य मंदिर से परिक्रमा में अपने मंदिर में विराजमान हुई। इससे पहले शीतकाल में भगवती लक्ष्मी भगवान बद्रीविशाल के साथ विराजमान थी। जबकि उद्धव जी के मुख्य मंदिर में विराजमान होने से पहले श्रीमान रावल ने लक्ष्मी जी को गर्भगृह से लक्ष्मी मंदिर में विराजित किया।कपाट खुलने पर भगवान बद्रीविशाल के निर्माण दर्शनों का विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान बद्रीविशाल के साथ नर-नारायण के दर्शनों का लाभ अर्जित किया जाता है ।कपाट खुलने पर भगवान बद्रीविशाल का मुख्य प्रसाद घृत कम्बल श्रद्धालुओं में वितरित किया गया। इससे पहले शीतकाल में भगवान बद्रीविशाल पर घृत का लेप किया जाता है जिसे कपाट खुलने पर भक्तों में बांटा जाता है
कपाट खुलने से पहले रात 1 बजे से श्रद्धालु लाइनों में लगे रहे। वहीं सुबह कपाट खुलने के बाद दर्शनों की लाइनों में बद्रीविशाल की जयकारो से पूरा माहौल नारायणमयी हो गया। आस्था और सबर की इन दर्शन लाइनों में श्रद्धालु रात से डटे रहे। वहीं लंबी कतारों में श्रद्धालु तुलसी की माला से सजी थालियों के साथ मंदिर की ओर आगे बढ़ते रहे। इस दौरान बामणी और माणा की महिलाओं ने दांकुड़ी नृत्य किया। भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुलने के साथ सिंहद्वार पर महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य किया। वहीं आर्मी बैंड की धुनों पर नृत्य किया ।