राम नवमी के दिन भारतीय शिक्षण मण्डल के ५२ वें स्थापना दिवस पर डिजिटल प्लेटफार्म के जरिये आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो० सच्चिदानन्द जोशी ने कहा कि विषम परिस्थितियों में ही मनुष्य के आत्मबल की असली परीक्षा होती है | हमें चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए अपितु उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए | प्रो० जोशी ने आगे कहा कि पूरे मनोयोग से किया गया प्रयत्न हमें सफलता के मार्ग पर अग्रसर करता है |
आज हम एक ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं जिसे संयमित एवं संगठित रहकर ही पराजित किया जा सकता है | चुनौतियाँ निश्चित ही हमें सिखाने का कार्य करती है | रचनात्मकता, संचार, संयम, करुणा, सहयोग, ध्यान, एवं साहस के जरिये हम असम्भव को भी सम्भव कर सकते हैं | आज हमें एक दूसरे का हाथ पकड़कर आगे बढ़ना है | राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से ही हम भारत को सुदृढ़ बना सकते हैं | इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मण्डल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि आत्मीय सम्बन्ध ही एक आदर्श समाज की पहचान है जो भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है |
सम्पर्क एवं संवाद से न सिर्फ आत्मीय रिश्तों की बुनियाद रखी जा सकती है अपितु आज के विषम परिस्थिति में यह संजीवनी का कार्य कर सकता है | एक सशक्त संवाद हमें संगठित होकर आगे बढ़ने में मदद कर सकता है | रामनवमी के अवसर पर भारतीय शिक्षण मण्डल की स्थापना को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि राम का जीवन हमें किसी भी चुनौती से लड़ने की राह दिखाता है, साथ ही संगठन एवं संवाद की महती भूमिका को भी स्पष्ट करता है | राम ने विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य का साथ नहीं छोड़ा | उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्यवन में भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला |
श्री कानिटकर ने आगे कहा कि आज संचार के साधन तो बढ़े हैं परन्तु संवाद कमज़ोर हुआ है | भारतीय दर्शन में सशक्त संवाद को संगठन के लिए नितांत आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ समाज को एक सूत्र में पिरोने का मार्ग प्रशस्त होगा अपितु राष्ट्र निर्माण में एकता का महत्व भी परिलक्षित होगा | कार्यक्रम का संचालन भारतीय शिक्षण मंडल के महामंत्री श्री उमाशंकर पचौरी ने किया |भारतीय शिक्षण मंडल के स्थापना दिवस कार्यक्रम में देश भर से 10000 कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।