कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। तत्पश्चात उपस्थित लोगों ने माँ सरस्वती और माँ भारती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। माँ सरस्वती के पूजन की शुरुआत सुरम्य वातावरण में प्रो रवि प्रकाश टेकचंदानी जी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना और ध्येय मंत्र के साथ हुई।अधिकारी परिचय डॉ सुरेश गोहे जी द्वारा दिया गया जबकि कार्यक्रम का संचालन सुश्री प्रियंका गर्ग जी ने किया।
प्रारंभिक व्यक्तव्य देते हुए अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री माननीय श्री शंकरानंद जी ने सरस्वती पूजन के औचित्य और महत्व पर विस्तारपूर्वक मार्गदर्शन प्रदान किया। वास्तविक शिक्षा के स्वरूप, व्यक्तित्त्व निर्माण पर अत्यंत ज्ञानवर्धक पाथेय दिया। आनंद देने वाली, रस से युक्त, सरस वती शिक्षा को ही वास्तविक शिक्षा का मूल बताया, क्योंकि वह ही कल्याण का मूल है। उसी से ही जीवन और जगत के कल्याण की सर्वाधिक संभावना है।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता, भारतीय शिक्षण मंडल, शालेय प्रकल्प की अखिलभारतीय टोली की सदस्या, प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी श्रीमती मालविका जोशी ने वसंत पंचमी से जुड़ी अनेक कथाओं, मान्यताओं और उनसे जुड़े विधि-विधानों का वर्णन करते हुए भारतीय संस्कृति में वसंत पंचमी और माँ सरस्वती के पूजन का महत्व रेखांकित किया। उन्होंने वसंत को मधुमास, ऋतुराज, उमंग और सृजन का महीना बताया। प्रेम को दिन विशेष तक सीमित करने वाले ‘वैलेंटाइन डे’ के समांतर को पूरे मधुमास का भारतीय संस्कृति में क्या महत्व है, स्थापित किया। उन्होंने बताया कि वसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती के पूजन से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति तो होती है साथ ही सरस्वती के योग से लक्ष्मी की प्राप्ति भी सुनिश्चित होती है। यह त्योहार अपनी परंपरा को आत्मसात करने का भी एक माध्यम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्माजी के सर से मां सरस्वती प्रकट हुई थीं, जिससे इस नीरस ब्रह्मांड में रस का, जीवन का संचार हुआ। इसी दिन से प्रकृति और मन में नए भाव और नवीन उच्छ्वासों का समावेश होता है। प्रकृति, पुरानी जड़ताओं, को त्यागकर नव उमंग से प्रफुल्लित होकर नवजीवन का संचार करती है। उन्होंने बताया कि यह राष्ट्रीय एकीकरण और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला त्योहार है। माँ सरस्वती हमारे जीवन को नवीन ऊर्जा से परिपूर्ण करें, इस आकांक्षा के साथ कल्याण मंत्र और ‘ॐ’ की सामूहिक ध्वनि के मध्य कार्यक्रम का समापन हुआ।
इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल, दिल्ली प्रांत अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश टेकचंदानी जी, प्रांत मंत्री डॉ सुरेश गोहे जी, प्रांत संगठन मंत्री श्री विनोद कुमार पांडेय जी, अनुसंधान सह प्रमुख डॉ प्रीति जगवानी जी, प्रांत महिला प्रमुख डॉ विभूति गौर जी, सह प्रकाशन प्रमुख डॉ सत्यप्रकाश जी, डॉ संजय वर्मा जी, डॉ सतीश कुमार, अदिति नारायणी, संस्कृति शर्मा, डॉ संजीव कुमार के साथ अनेक शिक्षण संस्थानों से लगभग 40 विद्यार्थी, शोधार्थी और शिक्षकों की उपस्थिति रही।