नई दिल्ली, 09 दिसम्बर, 2020 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी एक ही सिक्के के दो पहलू है। उन्होंने जिस प्रकार केन्द्र की मोदी सरकार अपने अधिकारों के लिए दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों की मांगों पर गौर नही कर नही उसी प्रकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की जनता के हितों की अनदेखी कर तानाशाही रवैया अपना रहे है। चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि आम आदमी पार्टी और भाजपा कुछ करने की बजाय सिर्फ सिर्फ दिखावे के लिए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है जबकि आपस में दोनो की मिली भगत है। उन्होंने कहा कि BJP-AAP दोनो पार्टियां दिल्ली में कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण लगाने और प्रदूषण की रोकथाम में पूरी नाकामयाब रही है।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि भाजपा शासित दिल्ली नगर निगमों के तीनों मेयर दिल्ली सरकार से 13000 करोड़ रुपये की राशि जारी करने के लिए धरने पर बैठे है, जबकि 13 वर्षों से निगम में शासित भाजपा ने दिल्ली नगर निगम को भ्रष्टाचार के आंकठ में डूबो दिया है और तीनों निगमों पर आर्थिक संकट आ गया। चौ0 अनिल कुमार ने तीनों निगमों में हुए भ्रष्टाचार की निष्पक्ष ऑडिट की मांग की। चौ0 अनिल कुमार ने कहा कहा कि निगमों द्वारा जो बजट पेश किए गए वो सिर्फ कर्ज पर आधारित थे और आय से अधिक व्यय पर निर्धारित थे। इन बजट में निगम के आय के श्रोत बढ़ाने और भविष्य की कोई योजना नही दिखाई दी।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि केजरीवाल के सिघु बार्डर पर किसानों से मिलने के पश्चात दिल्ली सरकार द्वारा 23 नवम्बर को किसान विरोधी बिल पास करने पर अपनी नाराजगी दिखाई और उसके बाद से केजरीवाल घर में मुँह छुपाए बैठे है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो केजरीवाल किसानों के हितों के लिए सिर्फ भाजपा पर आरोप लगा रहे है और दूसरी ओर किसानों के खिलाफ दिल्ली में कृषि बिलों को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी करने पर उनका दौहरा चेहरा दिल्ली वासियों के सामने आ गया है। चौ0 अनिल कुमार ने मांग की कि अरविन्द कजरीवाल से तुरंत विधानसभा का सत्र बुलालकर कृषि बिल को निरस्त करें।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली की अरविन्द सरकार की पिछले बजट की घोषणायें अभी भी अधूरी पड़ी है और दिल्ली के विकास के लिए किसी नए प्रोजेक्ट की घोषणा नही की है। चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि अरविन्द सरकार ने काँग्रेस पार्टी के शासन के समय विकास कार्यों को पूरा करने के लिए दिये जाने वाली राशि में भारी कटौती की जिसकी वजह से न तो कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है और न कोई काम पूर्ण हो रहे है।