कैराना उपचुनाव में रालोद सुप्रीमो को जवाब देने के लिए बीजेपी हाईकमान ने नयी सियासी चाल चल दी है। कैराना उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो चली है। रालोद सुप्रीमो चौधरी अजीत सिंह और पार्टी के महासचिव चौधरी जयंत सिंह की कैराना में सक्रियता को देखते हुए भाजपा के हाईकमान ने भी केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह और मुज़फ़्फरनगर के सासंद संजीव बालियान को कैराना उपचुनाव की बागडोर सौंप दी है।
महागठबंधन की मंशा यही है कि रालोद के निशान हैडपंप से जाट के वोट में सेंध लगाई जा सकेगी और दलित, मुस्लिम और जाट समीकरण के सहारे अासानी से चुनाव को जीत लिया जाएगा।लेकिन आपको बता दें कि साल 2013 में मुज़फ़्फरनगर दंगे में मुस्लिम और जाट वोटरों के समीकरण में दरार पैदा हो गई थी। जिसका सीधा असर लोकसभा चुनाव में भी देखा गया था। लेकिन दंगों के घाव धोकर जाट वोटरों के लुभाने के लिए चौधरी अजीत सिंह और चौधरी जयंत सिंह ने कैराना संसदीय क्षेत्र में डेरा डाल रखा है।
रालोद के सुप्रीमो और महासचिव कस्बा-कस्बा और गांव-गांव जा कर समर्थन मांग रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बीजेपी हाईकमान ने भी महागठबंधन की इस चाल को पलीता लगाने के लिए सत्यपाल सिंह और संजीव बालियान यानी वोटरों को लुभाने में लगे हैं। आपको बता दें कि आमचुनाव 2014 में रालोद के मुखिया को सत्यपाल सिंह ने ही पटखनी दी थी। कुल मिलाकर भाजपा के 19 विधायक 6 सांसद और 6 केन्द्रीय मंत्री औऱ स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस उपचुनाव में कूद चुके हैं।