नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने दिल्ली दंगों के मामलों में दिल्ली पुलिस की जांच पर कोर्ट द्वारा बार-बार सवाल उठाए जाने पर दिल्ली पुलिस के मंसूबे पर सवाल खड़ा किया है। ‘आप’ विधायक आतिशी ने कहा कि भाजपा की दिल्ली पुलिस, दिल्ली दंगा मामलों की सही से जांच नहीं कर रही है और पुलिस की जांच पर बार-बार कोर्ट द्वारा सवाल खड़े किए जा रहे हैं। दिल्ली दंगों में जब से कार्यवाही शुरू हुई है, तभी से हर स्तर के कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की जांच पर बार-बार सवाल उठाए हैं। दिल्ली पुलिस का, दिल्ली दंगों की सही जांच और चार्जशीट दाखिल कर हिंसा व आगजनी के असली अपराधियों को पकड़ने का कोई इरादा ही नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों के डेढ़ साल बाद भी दिल्ली पुलिस 750 मामलों में से सिर्फ 35 में ही चार्जशीट दाखिल कर पाई है। दिल्ली दंगों की सही जांच न हो, इसीलिए केजरीवाल सरकार की तरफ से नियुक्त स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स को एलजी रखने को तैयार नहीं हैं। केजरीवाल सरकार ने जब अपने स्पेशल प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किए, तब एलजी ने उस फैसले को पलट दिए। उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों दिल्ली पुलिस ठीक से जांच और कार्रवाई नहीं कर रही है, क्या किसी को बचा रही है?
दिल्ली दंगे के डेढ़ साल बाद भी दिल्ली पुलिस ने न कोई कार्रवाई की और न ठीक से जांच की- आतिशी
आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं विधायक आतिशी ने फरवरी-2020 में हुए दिल्ली दंगों की जांच में दिल्ली पुलिस द्वारा बरती जा रही लापरवाही को लेकर आज पार्टी मुख्यायल में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। विधायक आतिशी ने कहा कि फरवरी-2020 में दिल्ली ने बहुत ही दर्दनाक दंगों का सामना किया। हम सबने देखा कि नार्थ-ईस्ट दिल्ली में किस प्रकार से दंगे हुए, किस तरह से उसमें आगजनी और हिंसा हुई। दिल्ली ने शायद अपने इतिहास में ऐसे दंगे नहीं देखे होंगे, लेकिन आज इन दंगों के डेढ़ साल होने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने न कोई कार्रवाई की है और न तो ठीक से जांच की है। पुलिस की जांच पर खुद अलग-अलग कोर्ट्स ने बार-बार सवाल उठाए हैं। आज हम यह जानना चाह रहे हैं कि दिल्ली पुलिस इन दंगों को लेकर क्यों ठीक से जांच नहीं कर रही है, क्यों कार्यवाही नहीं कर रही है? दिल्ली पुलिस इन दंगों में क्या किसी को बचा रही है? जिस दिन से इन दंगों के बाद कार्यवाही शुरू हुई है, बार-बार हर स्तर के कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि ऐसा लग रहा है दिल्ली पुलिस के गवाह प्लांटेड और फर्जी हैं- आतिशी
आतिशी ने कहा कि हम यह सवाल सिर्फ इसलिए नहीं उठा रहे कि हम एक राजनीतिक दल हैं और दिल्ली पुलिस भाजपा के अधीन आती है, बल्कि इस देश के हर स्तर का कोर्ट सवाल उठा रहा है। सेशन कोर्ट दिल्ली पुलिस से सवाल पूछ रहा है, हाईकोर्ट दिल्ली पुलिस से सवाल पूछ रहा है, सुप्रीम कोर्ट दिल्ली पुलिस से सवाल पूछ रही है। फरवरी-2020 में ही दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश मुरलीधरन ने जब दिल्ली पुलिस से पूछा कि आपने अलग-अलग राजनेताओं के भड़काऊ भाषण के वीडियो पर कार्रवाई क्यों नहीं की, तब दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को कहा कि हमने तो वह वीडियो देखे ही नहीं हैं। उस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कोर्ट में ही दिल्ली पुलिस को वह वीडियो दिखाए और कहा कि इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? जैसे यह मामले आगे बढ़े, फिर से नवंबर-2020 में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ बहुत सख्त टिप्पणियां की। बार-बार अलग-अलग मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को बोला कि आपने कोई भी कार्यवाही नहीं की है, आपने ठीक से जांच नहीं की है। आप सिर्फ अपने ही कॉन्स्टेबल और अफसरों को गवाहों के तौर पर लेकर आ रहे हैं और ऐसे गवाहों के तौर पर लेकर आ रहे हैं, जिनको मदद करने के लिए न तो कोई सीसीटीवी फुटेज है और न कोई दूसरा गवाह है। ऐसा लग रहा है कि दिल्ली पुलिस के गवाह खुद तैयार किए गए हैं और फर्जी है, कोर्ट ने कहा है।
कई मामलों में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के गवाहों और उनके बयानों को स्वीकार करने से इन्कार किया है- आतिशी
विधायक आतिशी ने कहा कि एक से अधिक मामलों में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के द्वारा सामने लाए गए गवाहों को और उनके बयानों को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने बार-बार दिल्ली पुलिस से पूछा है कि ऐसा कैसे हो गया कि दिल्ली शहर में इतने सारे सीसीटीवी कैमरे हैं, लेकिन आपके गवाहों को मदद (सपोर्ट) करने के लिए एक भी जगह का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने एक मामले में एक 65 साल के व्यक्ति को जमानत देते हुए दिल्ली पुलिस को यह कहा है कि यह दंगों का शिकार है, आपने से एक व्यक्ति, जो खुद दंगों का शिकार हुआ है, उसके खिलाफ केस फाइल कर दिया है और उस केस को खारिज दिया। कोर्ट आगे कहता है कि दिल्ली पुलिस की जांच में बहुत ज्यादा गैपिंग होल्स हैं। इस तरह से कुछ ही दिन पहले सेशन कोर्ट में जब कुछ और मामले सुने जा रहे थे, तब फिर से दिल्ली पुलिस की नाकामयाबी और दिल्ली पुलिस की कमजोर जांच पर कोर्ट को फिर से सवाल उठाना पड़ा और एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने दिल्ली पुलिस की जांच पर सख्त टिप्पणी की।
स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स भी कोर्ट में कहते हैं कि दिल्ली पुलिस उन्हें जांच के बारे में अपडेट और ब्रीफ नहीं करती है- आतिशी
विधायक आतिशी ने पुनः दोहराया कि दिल्ली पुलिस पर आज यह सवाल सिर्फ आम आदमी पार्टी नहीं उठा रही है। इन दंगों के मामले में हर स्तर के न्यायालय, चाहे सुप्रीम कोर्ट हो, चाहे हाईकोर्ट हो, चाहे सेशन कोर्ट हो, बार-बार दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठा रही है। यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली पुलिस, दिल्ली दंगों के मामले में ठीक से जांच ही नहीं करना चाह रही हैं। दिल्ली दंगों में जो करीब 750 मामले दर्ज हुए हैं, इन डेढ़ साल में उन 750 मामलों में से सिर्फ 35 मामलों में ही चार्जशीट फाइल हुई हैं। इन मामलों खुद आज कोर्ट टिप्पणी कर रहा है और कह रहा है कि यह कैसी जांच है? आज कोर्ट को ही खड़े होकर यह कहना पड़ रहा है कि ऐसा लग रहा है कि दिल्ली पुलिस इस मामले में जांच करना ही नहीं चाहती है। स्पेशल प्रॉसिक्यूटर से जब कोर्ट में पूछा गया कि आपके पास जानकारी क्यों नहीं है? आपने जांच के तथ्य सामने क्यों नहीं रखे? तब स्पेशल प्रॉसिक्यूटर खड़े होकर कहते हैं कि हम बार-बार दिल्ली पुलिस तो फोन करते रह जाते हैं कि हमें ब्रीफ कर दो, हमें केस के बारे में आकर बता दो, हमें जांच के बारे में अपडेट कर दो, लेकिन दिल्ली पुलिस स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स को अपडेट तक नहीं करती है, ब्रीफ तक नहीं करती है। स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स कहते हैं कि हमें सिर्फ जिन दिन केस की सुनवाई होनी होती है, उस दिन सुबह एक ई-मेल आ जाता है, जिसमें चार्जशीट होता है। हमें सिर्फ इतनी ही सूचना मिलती है।
दिल्ली पुलिस का, दिल्ली दंगों की सही जांच कर हिंसा और आगजनी के असली अपराधियों को पकड़ने का कोई इरादा नहीं- आतिशी
‘आप’ नेता आतिशी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस बात से यह स्पष्ट होता है कि दिल्ली सरकार ने जो स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स नियुक्त किए थे, उनको रखने के लिए एलजी साहब क्यों तैयार नहीं हुए थे। यह भी स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा की दिल्ली पुलिस और भाजपा के एलजी साहब दिल्ली दंगों में जांच नहीं चाहते हैं। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार को एक लिस्ट भेजी थी कि हम यह स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स चाहते हैं, तो दिल्ली सरकार ने उन स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स को नियुक्त करने से मना कर दिया, क्योंकि अगर दिल्ली पुलिस खुद ही अपने स्पेशल प्रॉसिक्यूटर नियुक्त करेगी और दिल्ली पुलिस की मर्जी से स्पेशल प्रॉसिक्यूटर नियुक्त होंगे, तो फिर उनके बीच मिलीभगत हो सकती है। जब दिल्ली सरकार ने अपने स्पेशल प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किए, तब एलजी साहब ने उस फैसले को पलट दिया। यहां तक कि दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर कोर्ट भी गई है कि दिल्ली दंगों के मामले में और 26 जनवरी को किसानों के केस में, क्यों हमारे स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स को हटाया गया और क्यों दिल्ली सरकार के स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स को नहीं रखा गया? यह मामला आज भी कोर्ट में है। लेकिन जो हमारे एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने टिप्पणियां की हैं, उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि क्यों दिल्ली सरकार के स्पेशल प्रॉसिक्यूटर्स को नहीं रखा गया? क्योंकि दिल्ली पुलिस का दिल्ली दंगों के मामले में कोई भी जांच करने का इरादा नहीं है। उनका ठीक चार्जशीट फाइल करने का कोई भी इरादा नहीं है। दिल्ली दंगों में जिन असली अपराधियों ने हिंसा और आगजनी की है, उन्हें पकड़ने का कोई भी इरादा नहीं है। आज हम दिल्ली पुलिस से यह पूछना चाहते हैं कि इन सारे मामलों में आप किन को छुपा रहे हैं? आप किस को बचा रहे हैं कि दिल्ली दंगों के डेढ़ साल होने के बावजूद कोर्ट के सामने न कोई सही जांच, न सही कार्रवाई, न सही गवाह और न ठोस साक्ष्य रखा जा रहा है।