NGT नें भले ही गोंडा जिले में अवैध बालू खनन को लेकर बड़ी कार्यवाही करते हुए खनन माफिया पर 212 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया हो, लेकिन अवैध खनन को लेकर खेलअभी भी जारी है। NGT की कार्यवाही पर भी खनन माफिया व अवैध खनन में लिप्त अधिकारियों कोई फर्क नहीं पड़ता… इसी को सच साबित करता हुआ एक रिश्वत का वीडियो वायरल हो रहा है।
जी हाँ आज आपको एक ऐसा वीडियो दिखाने जा रहा है जिसको देखकर खनिज विभाग के साथ अवैध खनन रोकने के बड़े बड़े दावे करने सरकार की आँखे खुली रह जायेंगी। इस वीडियो को जिसमें खनन माफिया शिवा सिंह राजस्व लेखपाल मलकेश्वर यादव को बाकायदा रिश्वत दे रहा है और चकबंदी लेखपाल उसपर सहमति जता रहा है। अब रिश्वत देने की वजह भी जान लीजिये।
दअरसल खनन क्षेत्र की गलत पैमाइश और गाटा बदलने के लिये शिवा सिंह से पेशकश की और तरबगंज तहसील क्षेत्र के तुलसीपुर माझा गाँव का गाटा संख्या 2274 को बदलकर खनन के लिए दूसरे गाटा संख्या को दिखाने के लिए रिश्वत देने की बात की। बस फिर क्या था लेखपाल नें गलत रिपोर्ट लगाने के लिये खनन माफिया से पैसे ले लिए और साथ में बैठे चबन्दी लेखपाल अमरेंद्र पांडेय नें बाकायदा गलत रिपोर्ट लगाने की सहमति भी जताई।
गाटा संख्या 2274 पर लगभग 3960 घनमीटर बालू खनन हुआ और हेराफेरी करते हुये लेखपाल और खनन माफिया नें 13 लाख रुपये से अधिक के राजस्व का चूना सरकार को लगा दिया। अब सवाल यह उठता है की एनजीटी नें अवैध खनन पर सख्ती दिखाते हुये खनन माफियाओं पर 212 करोड़ का जुर्माना कर प्रदेश सरकार को जुर्माना वसूलकर पर्यावरण संरक्षण पर खर्च करने की बात की है ऐसे में जिनके ऊपर जुर्माना वसूलने और खनन माफियाओं को चिह्नित करने का जिम्मा है वही लोग ऐसा कर रहे हैं तो फिर एनजीटी के आदेश का क्या होगा ???